अजब गजब ! बिहारी यात्री की वजह से 113 साल पहले Train में बना था शौचालय, जानें – दिलचस्प कहानी..

डेस्क : इन दिनों सेना भर्ती के लिए केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को लेकर बिहार में भारी बवाल हो रहा है। उपद्रवियों ने अभी तक 25 से अधिक ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया। प्रदर्शन के दौरान बिहार में ट्रेन की 60 बोगियां, 10 इंजन को फूंका गया। वहीं रेलवे स्टेशन, जीआरपी थाने और टिकट काउंटर को भी जला दिया गया।एक अनुमान के मुताबिक, रेलवे को लगभग 300 करोड रुपए का नुकसान हुआ है।

इसके साथ ही बिहार में लगभग 1000 ट्रेनें पिछले 5 दिनों में कैंसिल हुई है। सिर्फ पटना में महेश 30000 यात्रियों ने अपने टिकट कैंसिल कर आए हैं। आज भले ही बिहार के क्रांतिकारियों के गुस्से की लहर में ट्रेन चल रहा है लेकिन भारतीय रेल में बदलाव लाने का श्रेय भी बिहार के ही एक यात्री को जाता है। देश में सबसे पहली ट्रेन 1853 में चलाई गई थी। उस दौर में ट्रेन में शौचालय की सुविधा नहीं हुआ करती थी। भारत में ट्रेन चलाए जाने के शुरूआत के 10 साल बाद हावड़ा जमालपुर होते हुए लूप लाइन का निर्माण भी हुआ।

इसी रेलवे खंड पर भागलपुर के रहने वाले यात्री अखिल बाबू 1 दिन यात्रा कर रहे थे। तब तक देश में रेल के 50 साल हो चुके थे। रेलवे में सफर के दौरान अखिल बाबू को जो परेशानी झेलनी पड़ी और उसके चलते उन्होंने रेलवे को क्रांतिकारी चिट्ठी लिखी जिसके परिणाम स्वरूप रेल शौचालय की शुरूआत हुई। अखिल बाबू ने अपनी चिट्ठी में लिखा था-“ प्रिय श्रीमान, मैं पैसेंजर ट्रेन से अहमदपुर स्टेशन आया। तब मेरा पेट कटहल की तरफ फूल रहा था। शौच के लिए मैं वहां एकांत में गया लेकिन तभी ट्रेन वहां से चल पड़ी।

एक हाथ में लोटा और दूसरे हाथ में धोती लिए मैं दौड़ा, लेकिन रेल की पटरी पर गिर पड़ा। इस दौरान मेरी धोती खुल गई और वहां मौजूद सभी महिला और पुरुष के सामने मुझे शर्मिंदा होना पड़ा। मेरी ट्रेन भी छूट गई और मैं अहमदपुर स्टेशन पर ही रह गया। यह काफी बुरा है। जब कोई व्यक्ति शौच के लिए जाता है तो क्या गार्ड 5 मिनट के लिए ट्रेन नहीं रोक सकता। मेरा आपके अधिकारियों से अनुरोध है कि जनता की भलाई के लिए उस कार्ड पर भारी जुर्माना लगाया जाए। यदि ऐसा नहीं होता है तो मैं इसे अखबार में छपवाऊंगा। आपका सेवक, ओखिल चंद्र।“

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