64th BPSC Topper : मेरी पहचान पिता या पति नहीं, बल्कि में खुद बनाउंगी – बच्चा होने के बाद पाई सफलता

डेस्क : सफलता पाने के लिए लोगों को सालों मेहनत करनी होती है लेकिन वहीँ कुछ लोग ऐसे भी हैं जो ज्यादा मेहनत ना करते हुए अपने पहले प्रयास में लोक सेवा की परीक्षा निकाल देते हैं। आज हम एक ऐसी ही सख्शियत के बारे में बात करने वाले हैं जिन्होंने अपने पहले प्रयास में ही BPSC परीक्षा पास की और वह रेवेनुए अफसर बन गईं। इस महिला अफसर का नाम है सोनम राज। जब सोनम राज के स्टडी टेबल को देखते हैं तो उनके टेबल पर किताबों का भण्डार लगा रहता है। सोनम बताती हैं की जो भी किताब मुझे जरूरी लगती थी मैं उनको बाजार से ले आती थी। सोनम राज गया की रहने वाली हैं।

सोनम राज ने अपनी दसवीं की पढ़ाई गया बिहार में रहते हुए की है। इसके बाद बारहवी की परीक्षा बोकारो से पास की है। इसके बाद सोनम ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई UPTU मेरठ से की है। इसके बाद उन्होंने इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस की दो साल तैयारी की लेकिन किसी वजह से वह चयनित नहीं हो पाईं। जब BPSC का फॉर्म निकला तो सोनम ने यह फॉर्म भरा और वह पहले प्रयास में सफल हो गईं। सोनम की शुरूआती परीक्षा काफी अच्छी हुई है, उनके घर वालों को उनके ऊपर पूरा विश्वास था की वह जरूर पास हो जाएंगी। सोनम के घर में पढ़ाई करने वालों की कमी नहीं है। सोनम के पिताजी भी असिस्टेंट इंजीनियर की पोस्ट से रिटायर हुए हैं, उनके भाई भी CPWD में काम करते हैं। सोनम की दोनों बहने भी बिहार आंगनवाड़ी में सुपरवाइजर हैं।

जब सोनम से पुछा गया की आखिर उनको इंजीनियरिंग करने के बाद सिविल सेवा में काम करने का हौंसला कहाँ से मिला तो वह बताती हैं की उनके पिताजी की हमेशा गया के डीएम से बातचीत होती रहती थी। उस वक्त सोनम छोटी थी और तब ही उन्होंने ठान लिया था की मुझे भी सिविल सर्विसेज में जाना है। सोनम एक शादीशुदा अफसर हैं और उनका एक बच्चा भी है जब उनसे पुछा गया की आखिर उन्होंने यह कैसे किया तो वह बताती हैं की मैंने हमेशा से ही अपनी पढ़ाई को वरीयता दी है। सोनम का बचपन से सपना था की वह एक गवर्नमेंट अफसर बनें जिसके चलते चाहे जो भी रास्ते में बाधा आ जाए मुझे हर बाधा पार करनी है।

सोनम ने बताया की उन्होंने तैयारी अभी से नहीं बल्कि 2018 के पहले से की है, इस तैयारी में उन्होंने सोशल मीडिया का भी सहारा लिया और जब पेपर हुआ तो उन्होंने क्वालीफाई कर दिया। तैयारी में जितना हो सका मैंने किताबें खरीदी ज्यादातर किताबें हिंदी में थी तो मैंने उनको खुद से अंग्रेजी में बदल दिया करती थी और पटना के टीचरों के पास जाकर पढ़ती थी। सभी महिलाओं को सोनम ने एक सन्देश दिया है की वह खुद इकोनोमिकली बेहतर बनाएं और अपने पति या पिता के नाम से नहीं बल्कि वह अपने नाम से जानी जाएं। सोनम ने कहा की जो इंसान पैदा होता है उसको अपनी पहचान जरूर बनानी चाहिए।

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