डेस्क : बिहार की सड़कों पर इलेक्ट्रिक बसें शुरू हो गई है। उनके अंदर की कुछ खास विशेषताएं इस प्रकार हैं जैसे कि सबसे पहले जीपीएस निरोधक बस में दिया गया है। जिसके तहत अगर कोई भी ड्राइवर की लोकेशन या बस की लोकेशन जानना चाहता है तो वह मोबाइल और कंप्यूटर के जरिए देख सकता है कि बस कहां पर है और अगर वह बस के भीतर बैठा है और उसको नहीं पता चल रहा है कि बस किस रूट पर जा रही है तो वह डिस्प्ले स्क्रीन पर देख सकता है लगातार हर स्टेशन पर पहुंच कर यह पता लगता रहेगा कि बस कौन से स्टेशन पर जा रही है।
इसमें लोगों से यह पूछने की जरूरत नहीं है अब कौन सी जगह आने वाली है। बस के अंदर 46 लोगों के भीतर बैठने का इंतजाम किया गया है और मोबाइल चार्जिंग की सुविधा दी जा रही है। ऐसे में यह बस प्रदूषण और ध्वनि मुक्त रहेगी, जिसके चलते सांस की बीमारियों नहीं होंगी और पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम का तरीका तो अपने आप में ही एक बेहतर विकल्प साबित होता है। इस बस सेवा के जरिये सरकार ने उन लोगों पर ख़ास ध्यान दिया है जो दूसरे राज्य से आते हैं क्योंकि वह संकोच और हिजक से भरे होते हैं। स्टेशन पर खुद पता लग जाएगा कि वह कहां पर है और उनको कहां जाना है। सुविधा अनुसार बस के अंदर कैमरे भी लगाए गए हैं अगर कोई भी गलत गतिविधि होती है तो अपराधी भी पकडे जाएंगे।
बस में गियर और क्लच नहीं है दरअसल इलेक्ट्रिक बस को गियर और क्लच की जरूरत नहीं होती है। फिलहाल, इसमें यह तय कर दिया जाता है कि ज्यादा से ज्यादा कितने किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से इसको चलाया जाए। बिहार में शुरुआती दौर में जो बसें चल रही हैं उनकी रफ्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटा कर दी गई है। अगर सब कुछ सही रहा तो आने वाले समय में बस की रफ्तार 60 किलोमीटर प्रतिघंटा कर दी जाएगी। इस बस का पहला रोड पटना से मुजफ्फरपुर तक का तय किया गया है और पटना से मुजफ्फरपुर के बीच कोई भी स्टेशन नहीं है जिसके चलते वह पटना से चलेगी और मुजफ्फरपुर जाकर रुकेगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में यह बसें बिहार राज्य की प्रमुख बसे होंगी और पुरानी जर्जर बसों को खत्म कर दिया जाएगा। अब बिहार में बसों की एक नई पहचान होने वाली है। लोग भी निगम के सुप्रसिद्ध व्यवस्था को बेहद ही बेहतर बता रहे हैं और इनका प्रयोग करने के लिए आतुर है।