BPSC परीक्षा : पहले प्रयास में टॉपर बना किराना दुकानदार का इंजीनियर बेटा ओम प्रकाश – नहीं ली कोई कोचिंग

डेस्क : जब जीवन में लोगों के आगे चुनौती खड़ी होती है तो उनको घबराना नहीं चाहिए बल्कि अपनी अंदर की कमियों को दूर करना चाहिए। आदमी जब अपने अंदर की कमजोरी को ख़त्म कर देता है तो कामयाबी उसके क़दमों में आ गिरती है। कुछ ऐसा ही हमें बिहार की 64वीं BPSC परीक्षा में देखने को मिला है जहाँ पर एक BPSC टॉपर नामक ओम प्रकाश गुप्ता ने सफलता हासिल की है। उन्होंने अपने पहले प्रयास में इस परीक्षा को पास कर दिखाया है। वह राजधानी पटना से 35 किलोमीटर दूर फतुहा प्रखंड में रहते हैं। उनके पिताजी बिंदेश्वर साव एक किराने की दूकान चलाते हैं।

ओम प्रकाश गुप्ता ने जो कामयाबी हासिल की है उससे उनके घर वाले बेहद खुश हैं और फूले नहीं समा रहे हैं। इस कामयाबी का श्रेय ओम ने गाँव के सभी लोगों को दिया है। गाँव वालों का कहना है की उनको बहुत गर्व है की उनका करीबी इतनी बड़ी परीक्षा में सफल हो गया है। ओम प्रकाश ने मैट्रिक की परीक्षा वर्ष 2006 में पास की थी और 2008 में इंटर की परीक्षा पास की थी। उनकी रूचि इंजीनियरिंग जैसे विषयों में थी, जिसके चलते उनको IIT रूड़की में दाखिला मिला था। IIT रूड़की से उन्होंने बीटेक किया, जिसके बाद उनको कई कंपनियों के ऑफर आए।

लेकिन कंपनियों में जाने के बजाय उन्होंने सोचा कि बिहार के बच्चों को इस वक्त बेहतर शिक्षा की जरूरत है। इस मूल परेशानी को देखते हुए वह अगले 5 साल के लिए IIT की तैयारी करने वाले बच्चों को पढ़ाने लगे। पढ़ाई के दौरान उन्होंने अपनी परीक्षा की तैयारी भी जारी रखी जिसका परिणाम उन्हें आज मिल गया। ओम प्रकाश ने कहा कि इस परीक्षा में संयम और धैर्य रखना बहुत जरूरी होता है। ऐसे में आप संयम और धैर्य रखते हुए परीक्षा की तैयारी करें तो आपके सफल होने की उम्मीदें बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि इस तैयारी में उनके भाई बहन और माता पिता ने खूब हौसला बढ़ाया है।

ओम प्रकाश का कहना है कि भविष्य में गरीबी और बेरोजगारी की वजह से कई परेशानियां खड़ी हो सकती हैं, जिसके चलते शिक्षा ही एकमात्र काम है जो अनेकों बिहार के युवाओं को बेरोजगारी के मुंह से निकाल सकता है। ओम प्रकाश बाकी बच्चों को सलाह देते हुए कहते हैं कि सभी प्रतिभागियों को निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए और कितनी भी मुश्किल चुनौती आ जाए, साहस के साथ उनसे लड़ते रहना चाहिए। बच्चों को तब तक प्रयत्न करना चाहिए जब तक उनको सफलता हाथ न लग जाए। उन्होंने आखिरी में ईश्वर को धन्यवाद दिया, साथ ही उन्होंने बताया कि परिवार को इतनी बड़ी खुशी कभी नहीं मिली जितनी आज मिल रही है।

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