कोरोना ने ले ली रोटी बैंक संस्थापक किशोर कांत की जान, दे गए बड़ी सीख

डेस्क : युवा सामाजिक कार्यकर्ता किशोरकांत तिवारी की गुरुवार को तेज़ बुखार के चलते मौत हो गई। उन्होंने कोरोना से ग्रसित लोगों की मदद करनी शुरू की थी और वह ज़मीन पर रहकर लोगों की मदद बीते एक साल से कर रहे थे। उनके द्वारा गरीबों का पेट भरने के लिए रोटी बैंक की स्थापना की गई थी जो वाराणसी में स्थित है। बुखार उनका 103 डिग्री चला गया था लेकिन उसपर उन्होंने काबू पा लिया था। इसके बाद फिर से बुखार ने तेज़ी पकड़ ली थी और वह बचने में नाकामयाब रहे। उन्होंने मौत से पहले अपना वीडियो भी जारी किया था।

वीडियो में वह बार बार एक ही बात कह रहे थे की दोस्तों ” कोरोना को हल्के में न लें ” अगर लोगों को ऐसा लगता है की कोरोना उनको नहीं होगा तो यह गलत बात है। कोरोना किसी को भी चपेट में ले सकता है और मैंने यानी समाजसेवी किशोरकांत तिवारी ने यह होते हुए देखा है। मात्र 5 दिनों के अंदर उनको 2 बार अलग अलग प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जब उनकी कोरोना की जांच करवाई गई तो उसमें उनका रिजल्ट पॉजिटिव आया। इसके बाद से उनकी हालत और बिगड़ती चली गई। मूल रूप से वह अपने परिवार के साथ सासाराम में रहते थे।

गरीबों का पेट भरने के लिए उन्होंने रोटी बैंक की स्थापना की थी। उनका यही मकसद था की इस धरती पर जो भी व्यक्ति है वह भूखा पेट ना सोए। यह नेक कार्य उन्होंने 2017 में शुरू किया था। वह अपने दोस्तों के साथ के साथ उस खाने को जमा करते थे जो शादी, बर्थडे पार्टी या फिर अन्य कोई पारिवारिक कार्यक्रम में बच जाता था। उस बचे खाने को वह घूम-घूम कर लोगों में बांटते थे। एक युवा की ऐसी सोच को लोग दिल से सलाम करते थे। बीते वर्ष उन्होंने कोरोना महामारी के चलते न जाने कितने लोगों की भूख को मिटाया था। राम नगर में उन्होंने ताज़ा भोजन के लिए एक नई किचन की शुरुआत भी की थी।

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