बिहार में बढ़ेंगे बिजली के दाम, जानें – आपके जेब पर कितना पड़ेगा असर..

डेस्क : बिहार की दोनों बिजली आपूर्ति कंपनियां प्रदेश को उपलब्ध कुल बिजली का औसतन 67 फीसदी ही राजस्व इकट्ठा कर पा रही हैं. इन कंपनियों को मिलने वाली करीब 33 फीसदी बिजली बर्बाद हो जा रही है. इसमें लगभग 25 फीसदी ग्रिड व सब स्टेशनों से घर तक पहुंचने में और शेष 8 फीसदी बिजली बिलिंग या कलेक्शन नहीं हो पाने की वजह से बेकार चली जा रही है.

यही कारण है कि आपूर्ति कंपनियों को सिर्फ वर्ष 2020-21 में इसकी वजह से 10276.61 मिलियन यूनिट (amu) बिजली यानी करीब 7070 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. बिजली कंपनियों द्वारा विनियामक आयोग को सौंपे गये सालाना लेखा-जोखा में इसकी जानकारी दी गयी है.

10 फीसदी टैरिफ बढ़ाने का दिया था प्रस्ताव

सूबे की अपनी जेनरेशन इकाई नहीं होने की वजह से आखिरकार इसका बोझ राज्य सरकार और बिजली उपभोक्ताओं पर भी पड़ रहा है. इस घाटे से उबरने के लिए कंपनियां करीब करीब हर वर्ष टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव देती हैं. पिछले वर्ष ही कंपनियों ने 10 फीसदी टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था. इस घाटे से निबटने के लिए जहां विनियामक आयोग को टैरिफ बढ़ाने की मजबूरी होती है, वहीं उपभोक्ताओं पर से इसका बोझ हटाने के लिए राज्य सरकार को अतिरिक्त अनुदान भी देना पड़ता है.

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