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बिहार : बच्चों की हो रही तस्करी के खिलाफ शुरू होगा अभियान !

डेस्क : कोरोना काल के इस संकट भरी घडी के बीच बच्चों की तस्करी के खिलाफ सघन जांच की कार्रवाई की जाएगी। राज्य में बड़ी संख्या में प्रवासियों के लौटने के बाद एक बार फिर दूसरे प्रदेशों में जाने का सिलसिला (रिवर्स माइग्रेशन) शुरू हो गया है। ऐसे में बच्चों को भी बड़ी संख्या में बाल मजदूरी के नाम पर दूसरे प्रदेशों में ले जाने की संभावना बढ़ गयी है। इसे रोकने के लिये समाज कल्याण विभाग और अपराध अनुसंधान विभाग के द्वारा संयुक्त रूप से छापेमारी व जांच की कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है।

समाज कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद और श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव मिहिर कुमार सिंह बैठक करेंगे। इसमें रिवर्स माइग्रेशन से रोके गए बच्चों के परिवार को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने को लेकर विमर्श किया जाएगा।छापेमारी और जांच को लेकर अभियान में जिलों में संचालित गैर सरकारी व सामाजिक संगठनों का भी सहयोग लिया जाएगा। उनके सहयोग से प्रवासी बिहारियों के परिवार की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली जाएगी। उनसे किसी परिवार के बच्चे को दूसरे प्रदेशों में भेजे जाने की भी सूचना लेकर कार्रवाई की जाएगी। अभियान के दौरान मुख्य रूप से उत्तर बिहार के जिलों को फोकस किया जाएगा।

बच्चों की तस्करी के मामले में बिहार देश का तीसरा राज्य है। इसको लेकर अभियान को क्रियान्वित करने का निर्णय लिया गया है। यहां से हर दिन एक बच्चे की तस्करी किए जाने के साथ यह देश में राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बाद बाल तस्करी के दर्ज प्रकरणों के मामले में तीसरा राज्य बन गया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, बिहार से वर्ष 2017 में 18 वर्ष से कम उम्र के कुल 395 बच्चों की तस्करी की गई जिनमें 362 लड़के और 33 लड़कियां शामिल थीं। इनमें से 366 से जबरन बाल श्रम कराया गया।

मालूम हो की गत अक्टूबर में जारी एनसीआरबी के उक्त आंकड़ों के अनुसार बाल तस्करी के 886 मामलों के साथ राजस्थान पहले स्थान पर है, पश्चिम बंगाल 450 ऐसे मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है। बिहार पुलिस ने 2017 में बच्चों की तस्करी करने वालों के खिलाफ 121 प्राथमिकी दर्ज की थी।

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