बिहार में एक बार फिर से भिड़ेंगे भाजपा और राजद, पंचायत चुनाव में दोनों दल ले रहे हैं खूब दिलचस्पी…

डेस्क : बिहार में एक बार फिर से भाजपा और राजद चुनावी मैदान में भीड़ सकते हैं। लेकिन , इस बार यह मुकाबला सीधे तौर पर ना हो करके किसी और माध्यम से लड़ा जाएगा। दरअसल बिहार पंचायत चुनाव में भाजपा और राजद दोनों ही महत्वपूर्ण पदों के लिए कई प्रत्याशियों को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन कर रहे हैं। हालांकि बिहार पंचायत चुनाव पार्टियों के सिंबल पर नहीं लड़ा जा रहा है। लेकिन, फिर भी कई दल प्रत्याशियों का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन कर रहे हैं ताकि उनका जनाधार बढ़े।

भाजपा ने बनाई खास रणनीति- कई राज्यों में पंचायत चुनाव लड़ चुकी भाजपा ने बिहार पंचायत चुनाव के लिए खास रणनीति बनाई है। भाजपा पंचायत चुनाव के महत्वपूर्ण पदों के उम्मीदवारों को कानूनी सहायता तथा अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवा रही है। वर्तमान गृहमंत्री तथा पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 2017 में पी टू पी यानी कि पंचायत टू पार्लियामेंट का नारा दिया था। इसी नारे पर चलते हुए भाजपा बिहार में अपना जनाधार मजबूत करने के लिए पंचायत चुनाव में खूब मेहनत कर रही है।

राजद ने भी कस लिया कमर- पंचायत चुनाव के जरिए अपना राजनीतिक जनाधार बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय जनता दल ने भी कमर कस लिया है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करके पंचायत चुनाव के लिए अपनी रणनीति बनाई है। सूत्रों के मुताबिक राजद जल्द ही आधिकारिक तौर पर घोषणा कर सकती है की पार्टी के कैडर पंचायत चुनाव लड़ने के लिए आपस में ना भिड़े। पार्टी जिस उम्मीदवार को समर्थन देगी सभी कार्यकर्ताओं को उसी उम्मीदवार का समर्थन करना होगा। राजद अपनी बूथ कमेटियों का भी पुनर्गठन करेगा।

क्यों ले रहे हैं बड़े दल दिलचस्पी- बिहार में पंचायत चुनाव में कभी भी बड़े राजनीतिक दलों का इतना दिलचस्पी नहीं रहा था जितना इस बार के पंचायत चुनाव में है। सभी दल ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पहुँच मजबूत करना चाहते हैं और इसी के लिए वह पंचायत चुनाव में भी अपने समर्थकों को जिताना चाह रहे हैं। पंचायत चुनाव में जिस दल का दबदबा रहेगा उसे अपनी राजनैतिक पैठ बढ़ाने में ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। पंचायत चुनाव में जीत का मतलब है कि आपके पास एक मजबूत ग्रामीण कैडर हमेशा खड़ा रहेगा।

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