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बिहार के इस गाँव में महिलाएं नहीं बल्कि सिर्फ पुरुष रखते हैं छठ व्रत और करते हैं छठी मइया की पूजा

डेस्क : छठ का त्यौहार एक अलग ही माहौल लेकर आता है। यह माहौल हर बिहारवासी के दिल में बस जाता है। कुछ इसी प्रकार छठ पर व्रत करने वाली महिलाएं भी अपने जीवन और परिवार के सुख समृद्धि के लिए कामना करती हैं। आज छठ का तीसरा दिन है। ऐसे में हमें ज्यादातर महिलाएं व्रत किए हुए नजर आ रही हैं। बिहार में एक ऐसा गांव भी है जहां पर सिर्फ पुरुष छठ का व्रत रखते हैं।

कटोरिया प्रखंड के भोरसार स्थित पिपराडीह गांव में सिर्फ पुरुष छठी मैया के लिए व्रत रखते हैं। फिलहाल के लिए तो इस गांव में दूसरे गांव से ब्याह कर आई महिलाएं भी व्रत कर रही है लेकिन यहां पर पुरुषों की संख्या काफी ज्यादा है। पिपराडीह गांव में एक समय पर जब किसी घर में बच्ची पैदा होती थी तो वह किसी कारणवश मर जाया करती थी जिसके चलते लोग काफी परेशान हो गए थे।

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कई बार तो इस गांव में वैद्य और हकीम का सहारा लिया गया था लेकिन कुछ परिणाम न निकला। तब ग्रामीणों ने सोचा था कि यहां पर छठ का व्रत पुरुष किया करेंगे। लंबे समय से यहां पर पुरुषों द्वारा परंपरा अनवरत जारी है, फिलहाल के लिए अब इस गाँव में लड़कियों की मौत में भी कमी देखी गई है और लड़कियों के सिर से यह संकट खत्म हो गया है। इस परंपरा को जितना महिलाएं चलाती हैं उतना ही पुरुषों का भी योगदान है।

बिहार में बांका के चांदन में छठ पूजन करते व्रती। फाइल फोटो

यदि जनसंख्या की बात की जाए तो इस गांव में हर 1000 महिला पर 1100 पुरुष है, जिसका सीधा अर्थ है कि 100 पुरुष छठ का व्रत ज्यादा करते हैं। गांव के सुरेश, विक्रम, सुबोध यादव, रमेश यादव ने बताया कि बीते 20 सालों से वह छठी मैया की पूजा अर्चना कर रहे हैं। ऐसे में वृद्ध व्यक्ति कृष्णा यादव का कहना है कि साल 1985 से व्रत की पूरी जिम्मेदारी उठा रहे हैं। ऐसे में वह चाहते हैं कि पूरा गांव आबाद रहे और इसी प्रकार छठ की परंपरा को आगे बढ़ाता चले।

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इस गांव के पुरुषों का मानना है कि यदि वह छठ पूजा नहीं करेंगे तो उनकी बेटियों पर संकट आ जाएगा। अपनी बेटियों को संकट मुक्त करने के लिए वह हर साल छठ का व्रत रखते हैं। ऐसे में जब उनके रिश्तेदार यह सब देखते हैं तो काफी आश्चर्यचकित हो जाते हैं।

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इस क्षेत्र में महिलाएं भी पुरुषों का बढ़-चढ़कर योगदान करती हैं। यह परंपरा पूर्वजों के काल से चली आ रही है। लोगों का कहना है कि ऐसा करने पर वह आध्यात्मिक अनुभूति का एहसास करते हैं। इस चीज को शब्दों में बताना काफी मुश्किल है।

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