बिहार विधानसभा चुनाव 2020: आरजेडी से रिश्तों पर लगा ब्रेक, JMM बिहार में अकेले लड़ेगी चुनाव

डेस्क : महागठबंधन को लगने वाला है एक और झटका, झारखंड में सत्तासीन झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बिहार विधानसभा की सात सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। पार्टी ने बिहार के इन सात विधानसभा सीटों झाझा, चकाई, कटोरिया, धमदाहा, मनिहारी, पीरपैंती और नाथनगर से प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है।इस बाबत झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता कर कहा कि पार्टी और सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए संगठन स्तर पर समीक्षा कर रही है। झामुमो ने शुरू से कहा है कि हमने झारखंड को संघर्ष करके हासिल किया है, खैरात में नहीं पाया है।

उन्होंने कहा कि झारखंड में राजद से राजनीतिक रिश्ते की समीक्षा होगी। झारखंड में झामुमो के नेतृत्व में बने गठबंधन में राजद शामिल है। राजद के एकमात्र विधायक सत्यानंद भोक्ता सरकार में मंत्री हैं। बकौल सुप्रियो राजद राजनीतिक शिष्टाचार भूला चुका है इसलिए उसके खिलाफ लड़ने को मजबूर होना पड़ा है। साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा के तीन चरण में किसी न किसी सीट पर झामुमो पूरे दमखम के साथ ताल ठोक कर लड़ेगा, राजनीति में परिस्थितियां बदल जाती हैं। आज का राजद और तेजस्वी नेतृत्व पुराने दिनों को याद नहीं रखना चाहता और झामुमो के संघर्ष को वह मानना नहीं चाहता। तो हम अपने सम्मान के साथ समझौता नहीं करेंगे पहले भी कहते आए हैं और आगे भी कहेंगे।

सुप्रियो के अनुसार अब बिहार में विपक्षी महागठबंधन जैसी अब कोई बात ही नहीं रही। वहां बहुकोणीय मुकाबदला होगा। राजद को विधानसभा में प्रवेश के लिए कुंडी झामुमो जो कि छड़ी के चुनाव चिह्न से लड़कर जीतेगा से ही मांगनी पड़ेगी। झामुमो ने काफी इंतजार किया, लेकिन अब तीर कमान से निकल चुका है, यह तरकश में वापस नहीं आएगा। झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में राजद को हैसियत से अधिक दिया गया। झामुमो के नेतृत्व में विपक्षी गठबंधन में राजद को एक भी विधायक नहीं होने के बावजूद सात सीट दी गई। झामुमो ने त्याग की भावना के तहत राजद को हैसियत से अधिक महत्व दिया। वहीं एक ही विधायक के जीतने पर मंत्रिमंडल में भी जगह दी गई।

अब झारखंड में भी राजद से रिश्ते की समीक्षा होगी।पर फिलहाल झामुमो बिहार विधानसभा चुनाव पर फोकस करेगी। इसके साथ ही, लालू यादव से भी पूछा झामुमो ने पूछा सवाल कि वह सामाजिक न्याय के तहत राजनीतिक भागीदारी की बात करते हैं, लेकिन उनका यह सिद्धांत झामुमो के संदर्भ में क्यों गुम हो गया। इस सवाल का उनको जवाब देना पड़ेगा। मुक्ति मोर्चा के हिस्से सिर्फ त्याग क्यों। उन्होंने कहा कि अब झामुमो भी राजनीति करना सीख गई है। राजद के नए नेता पुरानी दोस्ती भूल गए है। भाजपा को रोकना झामुमो का ध्येय है। इसके लिए झामुमो हर संभव कोशिश करेगा।

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