भारत-नेपाल के बीच फिर बढ़ा विवाद – नेपाल ने बॉर्डर के नजदीक सड़क निर्माण पर लगाई रोक…

सीतामढ़ी में भारत-नेपाल के बीच ‘No Men Lands’ विवाद में बॉर्डर के नजदीक सुरसंड के नवाही भिट्ठा में NH 227 पर 2 पुल का निर्माण अटक गया है। दोनों ही पुल 2 सौ मीटर के अंदर बनना था। एक पुल तो आधा तैयार होकर बीच में ही रूक गया है, जबकि दूसरा पुल और उसके लिए डायवर्सन का निर्माण कार्य इसी पेंच में शुरू भी नहीं हो पाया है। नेपाल सीमा के पास भारत में बन रही इस सड़क के चौड़ीकरण पर भी आपत्ति जताई है। जिसके बाद पुल व सड़क निर्माणकार्य रूक गया है। नेपाल सरकार ने इस जगह को No Men Lands की जद में बताकर निर्माण कार्य रूकवा दिया है।

निर्माण कार्य रूकने से पूर्वी चंपारण जिले के चकिया से नरहिया 219 Km (जयनगर से 59-60 किमी जो एनएच-57 से किशनगंज में मिल जाती है।) 4 स्पैन का 27 मीटर लंबा यह पुल है। NH निर्माण कार्य भी प्रभावित है। इस पुल का पेंच दूर हो तो सड़क निर्माण कार्य में तेजी आए। NH 104 के तहत यह सड़क 3 लाट में बंटी है। नेपाल की तरफ से जिस पुल पर आपत्ति जताई गयी है वह सड़क लाट टू में आती है। लाट वन शिवहर से सीतामढ़ी व सीतामढ़ी से जयनगर तक लाट टू में 77.1 Km है। शेष जयनगर से नरहिया लाट 3 में है। सड़क व पुल का निर्माण कमक इंजीनियर्स प्रा. लि. करा रहा है। जिसके इंजीनियर रंजीत गिरी बताते हैं कि यह पुल 2 साल से अधर में है। तत्कालीन DM अभिलाषा कुमारी शर्मा ने भी विवाद को सुलझाने का प्रयास किया था, लेकिन उच्चस्तरीय मामला होने की वजह से आज भी अधर में लटका हुआ है। यह सड़क सीतामढ़ी के कई इलाकों को नेपाल बॉर्डर पर भिठ्ठामोड़ और नेपाल के जनकपुर को जोड़ती है।

भारत में बन रही सड़क के चौड़ीकरण पर नेपाल ने आपत्ति जताई

नेपाल की दलील अंतरराष्ट्रीय सीमा कानून के तहत बार्डर पिलर से 10 से 11 गज जमीन दोनों तरफ से छोड़ना होता हैं। नेपाल सरकार ने दोनों देशों की सीमा के पास भारत में बन रही इस सड़क के चौड़ीकरण पर भी आपत्ति जताई है। इसके बाद इस सड़क पर पुल निर्माण कार्य को भी रोक दिया गया है। सड़क व पुल का निर्माण करा रही कमक इंजीनियर्स प्राइवेट लि. नामक एजेंसी के अनुसार, नेपाल का कहना है कि सड़क की चौड़ाई व पुल निर्माण से ‘No Men Lands’ का कुछ हिस्सा आ रहा है। वैसे सीमा से 14 से 15 फीट बिहार सरकार की जमीन है। राष्ट्रीय उच्च पथ व SSB के कमांडेंट की ओर से इसका रास्ता निकालने के लिए गृह मंत्रालय, भारत सरकार को लिखा गया है। नेपाल का यह कहना है कि भारत सरकार की सर्वे टीम एक बार आकर फिर से मापी मराए

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