ग्राम पंचायत चुनाव में अब 2 बच्चों से ऊपर वाले कैंडिडेट नहीं लड़ सकेंगे चुनाव – कानून में होगा संशोधन

डेस्क : सरकार को जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून ही एकमात्र तरीका नजर आ रहा है, जिसके चलते वह भारत की बढ़ती आबादी को रोक सकती है। ऐसे में असम इस कानून को लागू कर चुकी है, जिसमें हवाला दिया गया है कि यह देश की माइनॉरिटी के लिए एक बेहतर विकल्प है। यदि माइनॉरिटी लोगों की आबादी रूकती है तो उनका जीवन अच्छा बनेगा और रहने के तरीके में बदलाव आएगा। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को नौकरी मिलेगी वही अब बिहार में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर सख्त कदम उठाने की पहल की है।

बता दें की आने वाले समय में पंचायती राज विभाग के त्रिस्तरीय पंचायत और ग्राम कचहरी में वह लोग हिस्सा नहीं ले पाएंगे जिनके 2 या उससे अधिक बच्चे हैं। साल 2021 के चुनाव में यहां प्रावधान लागू नहीं हो सकता, लेकिन आने वाले समय में हमें यह कानून जरूर देखने को मिलेगा। पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने साफ कहा है कि इस वक्त सरकार जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सख्ती से कदम उठा रही है, उन्होंने बताया कि सरकार इस आदेश से लोगों को जागरूक करना चाहती है कि वह किस दिशा में आगे काम करने वाली है। फिलहाल पंचायती प्रतिनिधियों को चुनने के लिए इससे बढ़िया कोई अवसर नहीं हो सकता है।

भारत में इस वक्त पंचायती राज कानून 2006 चल रहा है। लम्बे वक्त के बाद अब इस कानून में संशोधन होना तय है, जिसके चलते सरकार ने फिलहाल 1 वर्ष का समय लिया है, जिसके भीतर कानून को संशोधित कर दिया जाएगा। सरकार का कहना है कि वर्ष 2016 में 2.50 लाख ग्राम कचहरी और पंचायत चुनाव के लिए 10,00,000 लोगों ने चुनाव लड़ा था। सरकार की ओर से साफ कहा गया है कि जनसंख्या नियंत्रण करते ही हम ग्राम स्तर का भविष्य बदल सकते हैं। फिलहाल सरकार की ओर से 2021 के ग्राम पंचायती चुनाव के लिए कोई विशेष प्रबंध नहीं किया गया है।

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