बिहार : अब सरकारी अस्पतालों में नहीं मिलेगी दवा, जानें – सरकार ने क्यों लिया फैसला?

डेस्क : बिहार हेल्थ डिपार्टमेंट की नयी योजनाओं की दवाएं अब लाभुकों को दी नहीं जायेंगी, बल्कि स्वास्थ्यकर्मी अब उसे अपने सामने ही मरीज को देंगे. MDD का स्वरूप इस बार बदल गया है. इस दवा का वितरण अब से नहीं होगा, स्वास्थ्यकर्मी अब उसे अपने सामने मरीज को खिलायेंगे. इसलिए इसका नाम अब MDA यानी मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन हो गया है.

जिला VBDC पदाधिकारी डॉ सतीश ने कहा कि MDA के तहत ही इस बार जिले में पहली बार RDA की शुरुआत की जा रही है. इसमें ट्रिपल ड्रग थेरेपी के तहत DEC, अलबेंडाजोल और आइवरमेक्टिन की गोली खिलायी जायेगी. यह थेरेपी फाइलेरिया रोग की जड़ पर एक गहरा प्रहार करेगा. इसके सेवन से व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के पारासाइट्स के प्रजनन और संक्रमण को भी कम किया जा सकेगा.

मेडिकल ऑफिसर व स्वास्थ्य पदाधिकारी करेंगे इसकी मॉनीटरिंग

सभी MOIC को माइक्रो प्लान तैयार करने को कहा गया है. इसे वे संबंधित विभागों के साथ साझा भी कर लेंगे. इसके अलावा मॉनीटरिंग की भी व्यवस्था को काफी चाक-चौबंद ही रखा जायेगा. MOIC यह तय करेंगे की मॉनीटरिंग किसी मेडिकल ऑफिसर या स्वास्थ्य पदाधिकारी की देखरेख में प्रतिदिन के आधार पर ही हो.

ब्लॉक लेबल पर ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर के शिक्षण की DDC खुद मॉनिटरिंग करेंगे. जल्द ही ड्रग सुपरवाइजर यानी आशा फैसिलिटेटर और आशा दीदियों को भी प्रशिक्षित किया जायेगा. उन्हें यह बात खास तौर पर बतायी भी जायेगी कि स्वास्थ्यकर्मियों को यह दवा अपने सामने ही लाभुक खिलानी है. दवा खिलाने से पहले स्वास्थ्यकर्मी लाभुक को दवा के प्रतिकूल प्रभावों जो भी अस्थायी और तात्कालिक हैं, के बारे में बतायेंगे भी.

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