सोशल मीडिया पर विरोध और जमीन पर गायब, क्या सिर्फ डिजिटली विरोधी पार्टी बनकर रह गई है राजद?

डेस्क / प्रिंस कुमार : बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में भाजपा जदयू गठबंधन वाली एनडीए ने भले ही सरकार बना ली है। लेकिन, विपक्ष को भी सत्ता पक्ष से महज कुछ ही सीटें कम मिली थी। मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल ने सबसे अधिक 75 सीटों पर जीत हासिल की थी। जब बिहार में विपक्ष को इतनी सीटें मिलीं तो सभी ने उम्मीद लगाई थी कि बिहार में राजद इस बार एक सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाएगा।

डिजिटल विरोध में आगे- लेकिन, क्या राष्ट्रीय जनता दल इस दायित्व को निभा सका है। यह सवाल इसलिए क्योंकि विपक्षी दल सरकार का विरोध सोशल मीडिया पर तो करते हैं। लेकिन, उतना ही पुरजोर विरोध वह जमीनी स्तर पे नहीं कर रहे हैं। मुख्य विपक्षी नेता तेजस्वी यादव सोशल मीडिया के माध्यम से रोज नीतीश कुमार पर हमले करते हैं। ऐसा कोई भी दिन नहीं होता है जब तेजस्वी यादव बिहार सरकार के विरोध में ट्वीट ना करते हों। विपक्ष के समर्थक भी सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं और सरकार की जमकर खिंचाई करते हैं।

जमीनी हकीकत कुछ और- लेकिन, बात जब जमीनी हकीकत की होती है तो यह विरोध उतना प्रभावी नहीं दिखता है। चाहे वह कृषि कानूनों का विरोध हो या फिर अन्य मुद्दों का विरोध। कृषि कानूनों के विरोध में राज्य में जितना भी बंद बुलाया गया, वो उतना प्रभावी नहीं रहा। राजद के समर्थक भी यह मानते हैं कि सड़क पर विरोध प्रदर्शन करने में राष्ट्रीय जनता दल लालू यादव के जमाने से पीछे चला गया है।

नहीं दिख रहा विपक्षी प्रभाव- कृषि कानूनों के विरोध में 3 बार बंद बुलाया गया और राज्य के विपक्षी दलों ने इन बंद का समर्थन भी किया था। लेकिन, कुछ छिटपुट जगहों को छोड़ के राज्य में कहीं भी बंद का असर नहीं दिखा। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है की क्या बिहार में विपक्ष सिर्फ डिजिटल विपक्ष बन कर रह गया है या फिर तेजस्वी यादव जमीन पे उतरते हुए लालू यादव के विरोध करने के तरीकों को अपनायेंगे।

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