Patna High Court ने Bihar Board पर ठोका 15 लाख का जुर्माना, जानिए – क्या है पूरा मामला..

डेस्क : पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बोर्ड परीक्षा पास करने के बाद भी सर्टिफिकेट नहीं देने के दो अलग-अलग मामलों की सुनवाई की. सुनवाई के बाद कोर्ट ने बिहार बोर्ड पर एक मामले में 10 लाख रुपये और दूसरे में 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. दरअसल, पटना हाईकोर्ट नवादा जिले की छात्रा सरस्वती कुमारी और बेगूसराय की छात्रा गौरी शंकर शर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के बाद बिहार बोर्ड पर 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.

दरअसल, नवादा के आदर्श हायर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा सरस्वती कुमारी का रिजल्ट इसलिए रोक दिया गया क्योंकि उनके स्कूल ने बोर्ड को रजिस्ट्रेशन फीस जमा नहीं की थी. वहीं बेगूसराय के बीकेएसकेएस इंटर कॉलेज की छात्रा गौरी शंकर शर्मा ने 2012 में 12वीं की परीक्षा दी थी और उसका रिजल्ट 2020 में जारी किया गया था. बोर्ड की लापरवाही से छात्रों का कीमती समय बर्बाद हुआ। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि 12वीं की परीक्षा देने के बाद छात्रों का गोल्डन पीरियड शुरू हो जाता है.

क्या है पूरा मामला? पहले मामले में गौरी शंकर शर्मा ने 2012 में साइंस स्ट्रीम के तहत बोर्ड की परीक्षा दी थी और उसका रिजल्ट 2020 में फर्स्ट डिवीजन के साथ जारी किया गया था। एक अन्य मामले में सरस्वती कुमारी ने 10वीं कक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। लेकिन मार्कशीट और सर्टिफिकेट को बिहार बोर्ड ने सिर्फ इसलिए रोक लिया क्योंकि स्कूल ने रजिस्ट्रेशन फीस जमा नहीं की थी. बोर्ड द्वारा परिणाम स्कूल नहीं भेजे गए और छात्रों को उनका परिणाम नहीं मिल सका। बिहार बोर्ड की लापरवाही इस कदर थी कि बोर्ड ने रिजल्ट देने की बजाय इसे अपने पास रखना ही सही समझा.

कोर्ट ने कहा कि बोर्ड के रिकॉर्ड बताते हैं कि छात्रों के सर्टिफिकेट 2016 में तैयार किए गए थे. लेकिन अनंतिम प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर 2019 में किया गया था। कोर्ट ने कहा कि बिहार बोर्ड के पास इन छात्रों का रिजल्ट 2019 से ही था. बोर्ड की लापरवाही के चलते छात्रों को अपने कीमती छह साल गंवाने पड़े। इसी बात को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने बिहार बोर्ड पर जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने यहां तक ​​कहा कि जुर्माने की रकम काफी नहीं है, क्योंकि बोर्ड की लापरवाही से बच्चों का भविष्य बर्बाद हो गया है.

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