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रामविलास पासवान की बरखी पर पीएम मोदी ने लिखा पत्र, चिट्ठी पर भावुक हो गए “ चिराग पासवान

डेस्क : लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान की आज पहली बरसी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पासवान के बरसी पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भावनात्मक पत्र के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की है। प्रधानमंत्री मोदी ने पत्र में लिखा, ‘देश के महान सपूत, बिहार के गौरव और सामाजिक न्याय की बुलंद आवाज रहे स्वर्गीय रामविलास पासवान को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।’ वहीं लोजपा नेता व रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान ने ट्वीट करके पीएम के चिट्ठी प्राप्त होने की जानकारी दी है।

प्रधानमंत्री के चिट्ठी पर चिराग हुए भावुक

चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री के द्वारा भेजे गए पत्र के साथ अपने ट्वीट में लिखा है कि, ‘पिता जी के बरखी के दिन आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश प्राप्त हुआ है। सर आपने पिता जी के पूरे जीवन के सारांश को अपने शब्दों में पिरो कर उनके द्वारा समाज के लिए किए गए कार्यों का सम्मान किया है और उनके प्रति अपने स्नेह को प्रदर्शित किया है। वे आगे लिखते है कि यह पत्र मेरे और मेरे परिवार को इस दुःख की घड़ी में शक्ति प्रदान करता है। आप का स्नेह और आशीर्वाद हमेशा बना रहे।’

प्रधानमंत्री ने पत्र में लिखा यह मेरे लिए बेहद भावुक का दिन

लोजपा संस्थापक की पहली बरसी पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पत्र में यह लिखा है कि ‘मेरे लिए बहुत भावुक दिन है। मैं आज उनको न सिर्फ अपने आत्मीय मित्र के रूप में स्मरण कर रहा हूं, बल्कि भारतीय राजनीति में उनके जाने के बाद जो कमी उत्पन्न हुआ है, उसे भी अनुभव कर रहा हूं।’

प्रधानमंत्री ने लिखा, ‘स्वतंत्र भारत के राजनीतिक इतिहास में पासवान जी का हमेशा अपना एक अलग स्थान रहेगा। वे एक बहुत ही सामान्य पृष्ठभूमि से उठकर शीर्ष तक पहुंचे, लेकिन हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े। साठ के दशक में पासवान जी ने जब चुनावी राजनीति में कदम रखा था, उस समय देश का परिदृश्य बिल्कुल अलग था। तब देश की राजनीति मुख्य रूप से केवल एक राजनैतिक विचारधारा के अधीन थी, लेकिन पासवान जी ने अपने लिए एक अलग और कठिन रास्ता चुना।’

पीएम मोदी ने आगेअपने पत्र में लिखा, ‘आज जो युवा राजनीति को जानना और समझना चाहते हैं, या फिर राजनीति के माध्यम से देश की सेवा करना चाहते हैं, पासवान जी का जीवन उन्हें काफी कुछ सिखा सकता है। हमेश चेहरे पर मुस्कान के साथ मिलने वाले रामविलास जी, सभी के थे, जन-जन के थे।’

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