Bihar का एकमात्र जिला जहां होती है चाय की खेती – जानिए क्या है खास..

डेस्क : बिहार के सीमावर्ती जिले किशनगंज बंगाल, नेपाल और बांग्लादेश आदि की सीमा से सटा है। पूर्व में पूर्णिया जिले का अनुमंडल किशनगंज 14 जनवरी, 1990 को पूर्ण जिला घोषित हुआ था। आर्थिक, साक्षरता सहित तमाम मामलों में यह पिछड़ा हुआ जिला कई क्षेत्रों में अपनी पहचान राष्ट्रीय फलक पर बना रहा है। चाय के उत्पादन में यह जिला राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर अपनी पहचान बनाए हुये है। किशनगंज की चाय को बिहार सरकार की ओर से सरकारी टैग “बिहार की चाय” का नाम भी दिया गया है।

किशनगंज के पौष्टिक एवं इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने वाला ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन भी लोगों के ध्यान को किशनगंज की तरफ आकर्षित करता है। पर्यटन की दृष्टि से यहां पर विश्व का प्रसिद्ध खगड़ा मेला, शहीद अशफाक उल्लाह खान स्टेडियम, चुर्ली किला, श्री हरगौरी मंदिर, प्रसिद्ध सूर्य प्रतिमा जैसी नामचीन जगहें हैं। बिहार के अंतिम छोर पर बसे इस जिले से गंगटोक, कलिंगपोंग व दार्जीलिंग जैसे पर्यटन स्‍थल भी बस कुछ ही दूरी पर स्थित हैं।

25 हजार हेक्टेयर में होती है चाय की खेती : आज बहुत से लोगों की सुबह चाय से ही शुरू होती है। किशनगंज वह जिला है, जिसने बिहार को चाय उत्पादक राज्यों कक श्रेणी में शामिल किया। असम, गुवाहाटी व दार्जीलिंग के पास स्थित किशनगंज जिले की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर चाय उत्पादक जिले के रूप में है। जिले में 25 हजार हेक्टेयर से अधिक भूभाग पर चाय की खेती भी की जाती है। ठाकुरगंज और पोठिया प्रखंडों में खास तौर पर इनकी खेती की जाती है। धीरे-धीरे चाय उत्पादन में जिला अग्रणी होते ही जा रहा है। चाय की पत्तियों से चाय के दानों को तैयार करने के लिए भी जिले में 4 फैक्ट्रियां हैं। यदि आपको चाय की खेती व इसकी प्रोसेसिंग देखने के अलावा नेचुरल ग्रीन टी का भी शौक है तो एक बार किशनगंज जरूर आइये।

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