उपेन्द्र कुशवाहा कि पार्टी का जल्द होगा जदयू में विलय , जानें इस फैसले से कैसे बढ़ेगी नीतीश कुमार और उपेन्द्र कुशवाहा की ताकत..

डेस्क : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के परिणामों ने राज्य में नए समीकरणों का निर्माण किया है। अब इसी कड़ी में उपेन्द्र कुशवाहा बहुत जल्द अपनी पार्टी रालोसपा का जनता दल यूनाइटेड में विलय करवा सकते हैं। उपेन्द्र कुशवाहा से सोमवार को मीडियाकर्मियों ने जब रालोसपा और जदयू के विलय पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हम जदयू से अलग ही कब थे। उन्होंने बताया कि रालोसपा का जल्द ही जदयू में विलय हो जाएगा।

जदयू को मिलेगा कुशवाहा वोटों का साथ- गौरतलब है कि राज्य में कुशवाहा वोटों का एक बहुत बड़ा तबका रहता है। इसलिए नीतीश कुमार हमेशा से कुशवाहा वोटों को अपने पक्ष में लाने के लिए जुटे रहते हैं। कुशवाहा वोटों को अपने पक्ष में लामबंद करने के लिए नीतीश कुमार ने 2003 में गांधी मैदान में रैली करके लव कुश समीकरण का भी नारा दिया था। हालांकि बाद में जब उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार से अलग होके अपनी अलग पार्टी बना ली तो कुशवाहा वोट बैंक कमजोर जरूर हुआ है। लेकिन अब उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी का जदयू में विलय हो जाने से राज्य में जनता दल यूनाइटेड के वोट बैंक में जबरदस्त इजाफा होगा।

दोनों नेताओं को है एक दूसरे की जरूरत- 2020 बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद उपेंद्र कुशवाहा तथा नीतीश कुमार दोनों की ताकत में कमी आई है। नीतीश कुमार की पार्टी जहाँ महज 43 सीटों पर सिमट गई तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को कोई भी सीट नहीं मिला। इसी वजह से दोनों दल के नेताओं को अभी एक दूसरे की जरूरत है। उपेंद्र कुशवाहा के नीतीश कुमार के साथ आ जाने से उनके वोट बैंक में जबरदस्त इजाफा होगा और इससे दोनों नेताओं की ताकतें भी बढ़ेंगी।

फैसले का हो रहा विरोध- उपेंद्र कुशवाहा के जदयू में शामिल होने का उनकी पार्टी रालोसपा के बहुत से नेता विरोध कर रहे हैं। इसी क्रम में रालोसपा के 41 नेताओं ने अभी हाल फिलहाल में रालोसपा का साथ छोड़ते हुए उपेंद्र कुशवाहा पर नीतीश कुमार का पिछलग्गू होने का आरोप लगाया है। अब देखने वाली बात होगी की क्या उपेंद्र कुशवाहा सभी विरोधों को दरकिनार करके नीतीश कुमार के साथ शामिल होंगे या फिर इतने दिनों से चल रहे दोनों नेताओं की कवायद बेकार हो जाएगी।

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