Chandrayan-3 Launching: 13 जुलाई से 19 जुलाई के बीच की जाएगी चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग, अंतरिक्ष यान को रॉकेट जोड़ा गया
Chandrayan-3 Launching: बुधवार 5 जुलाई को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में एलवीएम3 (LVM3) के साथ एनकैप्सुलेटेड असेंबली को सफलता के साथ जोड़ लिया है। यह चंद्रयान चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है जो पिछले सफल होते होते रह गई थी। इस ख़बर की जानकारी राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने ट्वीट कर दी। इस ट्वीट में इसरो की तरफ से कहा गया है कि आज श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 युक्त एनकैप्सुलेटेड असेंबली को एलवीएम3 के साथ जोड़ा गया है। इसके साथ ही इसरो ने ये भी कहा है कि चंद्रयान-3 मिशन को 13 जुलाई से 19 जुलाई के बीच लॉन्च किए जाने की तैयारी की जा रही है। वहीं एक अधिकारी के मुताबिक इसकी लॉन्चिंग 13 जुलाई को करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस चंद्रयान-3 यान में लैंडिंग स्थल के आसपास के क्षेत्र में मौलिक संरचना का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक वैज्ञानिक उपकरण लगाए गए हैं जिसकी मदद से थर्मोफिजिकल गुणों, चंद्रमा की भूकंपीयता, चंद्रमा की सतह का प्लाज्मा वातावरण का पता लगाया जाएगा। वहीं इसके बारे में एक अधिकारी ने बताया है कि इन लैंडर और रोवर पर वैज्ञानिक उपकरणों का दायरा “चंद्रमा के विज्ञान” की थीम में फिट किया गया है। इसके साथ ही इसमें एक और उपकरण लगाया गया है जिसकी मदद से चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी के स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्रिक का अध्ययन किया जाएगा।
वहीं इसके बारे में बताते हुए अंतरिक्ष विज्ञान कार्यक्रम कार्यालय की पूर्व निदेशक डॉ सीता ने बताया कि इसमें एक मॉड्यूल लगाया गया है जो लैंडर और रोवर को चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने में मदद करेगा। डॉ. सीता ने ये भी बताया कि इस प्रयोग को चंद्र दिवस के दौरान किए जाएंगे जिसमें पृथ्वी के करीब 30 दिन लगेंगे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया की इस दौरान चांद पर 15 दिन बाद रात होगी और तापमान शून्य से 170 डिग्री सेंटीग्रेड या इससे कम हो जाएगा। इसके बाद वहां की स्थिति
डॉ. सीता के अनुसार, प्रयोग एक चंद्र दिवस के दौरान किए जाएंगे यानी इनमें पृथ्वी के करीब 30 दिन लगेंगे। उन्होंने कहा, करीब 15 दिन बाद रात होगी और तापमान शून्य से 170 डिग्री सेंटीग्रेड या इ15 दिन बाद बदलेगी। इसके अलावा उन्होंने बताया की उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है की ठंड की वजह से लैंडर पर कितना असर पड़ेगा। ऐसा माना जा रहा है कि शुरुआत के पंद्रह दिन बेहद अहम होंगे। आपको बता दें कि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान का इंपोर्टेंट परीक्षण को इस साल मार्च में सफलतापूर्वक पूरा किया था। इस दौरान ठोर कंपन और ध्वनिक वातावरण का सामना करने की क्षमता की पुष्टि की गई थी। इस चंद्रयान की लॉन्चिंग में तीन मॉड्यूल प्रोपल्शन, लैंडर और रोवर का संयोजन किया गया है।