भारत के कुछ नामचीन नेता जिन्होंने प्रशासनिक सेवा छोड़ जन प्रतिनिधि बनना स्वीकारा

आईएएस की नौकरी समाज में बेहद सम्मान और प्रतिष्ठा से देखी जाने वाली नौकरियों में से है। आईएएस अधिकारियों को भारतीय समाज में काफी लोकप्रियता मिलती है, तथा उनका ओहदा काफी ऊंचा माना जाता है। लाखों स्टूडेंट आईएएस बनने का सपना संजोते है।लेकिन प्रत्येक वर्ष कुछ सैकड़े ही इस सपने को पूरा कर पाते हैं। एक आईएएस अफसर को मिलने वाली सुविधाएं, पावर ,पोजीशन फैसिलिटी ,सैलरी भी युवाओं का रुझान होने की प्रमुख वजह होती है। लेकिन हमारे देश में कई सारे ऐसे आईएएस ऑफिसर रह चुके हैं, जिन्होंने इस प्रतिष्ठित नौकरी को छोड़ राजनीति की राह चुनकर जनप्रतिनिधि बन ना सही समझा ।और आज उनकी पहचान न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी इस लेवल की बन गई है जो शायद प्रशासनिक अधिकारी रहते हुए कभी ना बन पाती ।जानते है, ऐसे ही कुछ नामचीन राजनीतिज्ञों के बारे में:-

मीरा कुमार मीरा कुमार देश में काफी जाना पहचाना नाम है। मूलतः ये बिहार के आरा से हैं। इन्होंने वर्ष 1973 में भारतीय विदेश सेवा ज्वाइन की थी। लेकिन 1985 से पूर्व ही राजनीति में आ गई और 1985 में हुई बिजनौर के उपचुनाव में रामविलास पासवान और मायावती को हराकर राजनीति में पूर्णता पदार्पण कर दिया। यह लोकसभा के स्पीकर के पद पर रहने वाली देश की पहली महिला रही है।

अजित जोगी 1968 बैच के आईएएस ऑफिसर अजीत जोगी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सलाह पर पॉलिटिक्स में एंट्री ली थी। तथा छत्तीसगढ़ के पहले सीएम बने। वर्ष 2016 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़कर छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली।

मणि शंकर अय्यर कांग्रेसी नेता मणि शंकर अय्यर 1963 में भारतीय विदेश सेवा ज्वाइन किए थे और 1989 में पॉलिटिक्स ज्वाइन कर लिया। यह 1991 में तमिलनाडु के मायिलादुतुरायी से लोकसभा के लिए चयनित हुए। इसके बाद विभिन्न पदों पर रहकर काम किया।

अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 1992 में भारतीय राजस्व सेवा जॉइन किया था। वर्ष 2011 में जनलोकपाल आंदोलन का प्रमुख चेहरा बनकर उभरे और वर्ष 2012 में आम आदमी पार्टी का गठन किया तथा वर्ष 2013 में दिल्ली विधान सभा इलेक्शन में कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री भी बने। हालांकि 49 दिनों के बाद सरकार गिर गई। पुनः 2015 में सत्ता में अभूतपूर्व बहुमत के साथ जीतकर दिल्ली के मुख्यमंत्री बने।

राज कुमार सिंह राजकुमार सिंह के नाम से मशहूर आरके सिंह 1975 बैच के बिहार के आईएएस अधिकारी रहे थे। उन्होंने 1990 में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा के दौरान उन्हें इन्होंने ही अरेस्ट किया था और वर्ष 2013 में बीजेपी ज्वाइन कर लिया। वर्तमान में यह कैबिनेट केंद्रीय कैबिनेट मंत्री हैं।

अल्फोंस कांनान्तनम केरल के कोट्टायम के मूल निवासी अल्फोंस ने 1979 में आइएएस सेवा से रिटायरमेंट ली तथा वर्ष 2011 में बीजेपी ज्वाइन कर लिया। उसके बाद 6 वर्षों तक राजस्थान के राज्यसभा के सांसद बने रहे। इनका नाम सब सबसे ज्यादा सुर्खियों में आया था। जब 1990 के वक्त उन्होंने दिल्ली विकास प्राधिकरण के आयुक्त के रूप में कार्य करते हुए कई अवैध इमारतों को ध्वस्त कर ₹10,000 करोड़ से अधिक की भूमि को पुनः प्राप्त किया।

सत्यपाल सिंह महाराष्ट्र कैडर के 1980 बैच के आईपीएस ऑफिसर सत्यपाल सिंह वर्तमान में बीजेपी के नेता है। यह मुंबई के पुलिस कमिश्नर भी रह चुके हैं और इस वर्ष 2014 में मुंबई पुलिस चीफ के पद से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हुए तथा उसी वर्ष बागपत की सीट से चुनाव में जीत हासिल की राजनीति में पदार्पण कर लिया। भारत में केवल यह कुछ अधिकारी नहीं है । जिन्होंने आईएएस आईपीएस जैसी नौकरी को छोड़कर राजनीति में शामिल हुए बल्कि उनकी लिस्ट काफी लंबी है और संभवत आने वाले वर्ष में जिस तरीके से युवाओं का रुझान राजनीति की तरफ बढ़ता जा रहा है हो सकता है कि ज्यादा से ज्यादा युवा जो कि पहले प्रशासनिक अधिकारी बनने की सोच रहे हो उनका रुझान राजनीति की तरफ भी हो जाए।

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