इंसान के बजाए अब गधों पर होगी पाकिस्तान में सुनवाई! इंसान का गधे से बराबरी करना गलत, मामला पहुंचा कोर्ट

डेस्क : अब तक आपने कई ऐसे किस्से सुने होंगे जिसके असलियत में होने की गुंजाइश बहुत कम है। कुछ केस ऐसे भी हैं जिनका कोई तुक नहीं बनता पर वो कोर्ट में चल रहे हैं। कुछ ऐसा ही हो रहा हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी जहां इंसानों के अलावा गधों पर कोर्ट में सुनवाई हो रही है। जी हां! पाकिस्तान में अब इंसानों को करतूत के अलावा गधों पर सुनवाई की जा रही है। ये पढ़ के आप सोच रहे होंगे कुछ भी हो रहा दुनिया में, पर ये सच है।

बता दें पाकिस्तान में गधे हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। पर ये मामला गधों की तुलना भ्रष्ट नेताओं से करने से जुड़ा है। पाकिस्तान की एक सत्र अदालत में एक व्यक्ति ने एक याचिका लगाई है। इसमें गधों की तुलना भ्रष्ट नेताओं से करने पर आपत्ति जताई गई है। याचिका में तर्क दिया गया है कि गधों की ऐसे नेताओं से तुलना करना गलत है।

कोर्ट ने FIA की साइबर क्राइम ब्रांच से 5 जुलाई को मांगा जवाब दरअसल, भ्रष्ट राजनेताओं की तुलना गधों से करने के खिलाफ एक सत्र अदालत में याचिका दायर की गई। 30 जून को मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (FIA) की साइबर क्राइम ब्रांच से 5 जुलाई को जवाब मांगा। याचिका में कहा गया कि गधा एक मेहनती और निर्दोष जानवर है और इसे भ्रष्ट राजनेताओं से जोड़ना अनुचित है। यह याचिका एक नागरिक ने दूसरे नागरिक के खिलाफ दायर की है, जिसने सोशल मीडिया पर अपनी एक पोस्ट में भ्रष्ट नेताओं की तुलना गधों से की थी। बता दें कोर्ट ने FIA को उसके खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में गधों का बड़ा योगदान पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में गधों का बड़ा योगदान रहा है। पाकिस्तान में गधों की आबादी लगातार बढ़ती रही है। इससे सरकार खुश है। पाकिस्तान के इकोनॉमिक सर्वे के डेटा के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान गधों की आबादी बढ़कर 5.7 मिलियन हो गई है। 2021 से 22 तक पशुधन ने एग्रीकल्चर वैल्यू में लगभग 61.9% और राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 14.0% का योगदान दिया है। बता दें कि पशुपालन पाकिस्तान के ग्रामीण अंचल के निवासियों के लिए रोजी-रोटी का सबसे बड़ा जरिया है। करीब 8 मिलियन से अधिक ग्रामीण परिवार इन पर डिपेंड हैं। इनकी आमदनी का लगभग 35-40% इसी क्षेत्र से मिलता है। पशुधन का सकल मूल्यवर्धन 5,269 अरब रुपये (2020-21) से बढ़कर 5,441 अरब रुपये (2021-22) हो गया है, जो 3.26% की वृद्धि दिखाता है। लिहाजा सरकार भी देश में इकोनॉमिक ग्रोथ, फूड सिक्योरिटी और गरीबी कम करने के लिए इसी क्षेत्र पर अपना फोकस कर रही है।

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