न्यूज़ डेस्क : ‘अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने में लग जाती है’ ओम शांति ओम फ़िल्म के इस डायलॉग को कैलाश सैन ने चरितार्थ कर दिखाया है। सीकर के बीदासर गांव के रहने वाले कैलाश की कहानी काफी वायरल हो रहा है। दरअसल कैलाश प्रतियोगी परीक्षाओं में 11 बार नाकाम होने के बाद सफलता को हांसिल कर लिया है। इस दौरान आर्थिक स्थिति तंग होने की वजह से चार साल विदेश में मजदूरी की।

कैलाश सैन काफी कठिनाइयों के बाद भी अपने शिक्षक बनने के सपने को पूरा कर लिया। कैलाश की यह संघर्स भरी कहानी आज लोगों की प्रेरणा बन गया है। बचपन से शिक्षक बनने का सपना था : दरसअल कैलाश सैन को शुरू से ही शिक्षक बनने का मन था। यूं कहें कि यह उनका सपना था, जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने ने जी तोड़ मेहनत की। इसके बाद भी उन्हें असफलता देखना पड़ा। वे प्रतियोगी परीक्षाओं में 11 बार फैल हुए। इसके बाद उनके जीवन में आर्थिक तंगी ने तूल पकड़ लिया और उन्हें विदेश जाकर मजदूरी करनी पड़ी। उन्होंने कभी हार मानना ठीक नहीं समझा। कैलाश अपने लक्ष्य को किसी भी तरह पा लेना चाहते थे। इसके लिए वे दिन में मजदूरी करने के बाद रात में 4-6 घंटे पढ़ा करते थे। इसी मेहनत और लगन के दम पर सैन का चयन पिछली द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में हुआ।

42वें साल तक प्रयास रखा जारी : कैलाश उन लोगों के लिए प्रेरणा बनकर उभरें हैं जो असफलताओं से हार मान लेते हैं। कैलाश आने जुनून को पूरा करने के लिए 42 वें साल तक प्रयास जारी रखा। कैलाश कहते हैं उन्हें विश्वास था कि एक दिन वे जरूर सफल होंगे। सेन ने 20 साल पहले स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 13 साल पहले शिक्षा शास्त्री की। अपनी सफलता का श्रेय सैन ने महिपाल सिंह, रतन सैन व परमेश्वर शर्मा को दिया है। सैन ने 20 साल पहले स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 13 साल पहले शिक्षा शास्त्री किया