हाँथ में ऑटो रिक्शा का हैंडल और गोद में नन्हा बच्चा, सबसे सटीक महिला सशक्तिकरण का पेश कर रही हैं मिसाल

डेस्क : जीवन संघर्ष से भरा है अगर जीवन में संघर्ष नहीं तो जीवन सूखा सूखा हो जाता है और ऐसे जीवन जीने वाले लोगों की बुरी दुर्दशा हो जाती है। वहीं दूसरी और कुछ ऐसे भी लोग रह रहे हैं जिनके पास कुछ भी ना होते हुए काफी कुछ होता है। पूरे दिन जो जीते हैं मेहनत करते हैं और उनको खाने के लिए दो वक्त की रोटी बड़ी मुश्किल से मिलती है।

कई कवियों ने महिलाओं के बारे में अपनी कविताओं में कुछ इस प्रकार टिप्पड़ी की है ” वह तोड़ती पत्थर देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ पर वह तोड़ती पत्थर ” यहां पर कवि ने यह दर्शाया है कि किस तरह से महिला काम करती है मेहनत करती है और खुद से कमा कर खाना चाहती है।

कुछ इसी तरह का नजारा छत्तीसगढ़ की सड़कों पर हमें देखने को मिला है जहां पर तारा प्रजापति अपने एक साल का बच्चा गोद में बांधे हुए ऑटो रिक्शा चलाती हैं। वह दिन रात कड़ी धुप में मेहनत करती हैं और रिक्शा चलाकर अपनी घरेलु आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के प्रयास में लगी हैं, उनका बेटा भी उनके साथ पूरे दिन रहता है। तारा के पति भी ऑटो चलाते हैं, तारा बताती हैं की उनके पति की कमाई कम पड़ जाती है घर चलाने के लिए इसलिए वह अपने पति की मदद के लिए यह कार्य कर रही हैं।

तारा ने बारहवीं तक पढ़ाई की है और अब वह दिन रात मेहनत करती है जिससे उसका घर चल सके। पूरे दिन के गुज़ारे के लिए वह कुछ न कुछ खाने का और पीने का पानी रखती हैं। वह बताती हैं की अपने बच्चे का जीवन सुधारने के लिए वह कुछ भी करेंगी। कोई भी व्यक्ति अगर तारा से मिलता है और उसके बारे में जानता है तो वह नतमस्तक हो जाता है। बता दें कि तारा महिला सशक्तिकरण का एक जीता जागता उदाहरण है और अन्य महिलाओं को तारा से जरूर प्रेरणा लेनी चाहिए।

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