डेस्क : अगर आप भी अपने भारी बिजली बिल से परेशान हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं तो तत्काल सरकारी योजना का लाभ उठाएं और घर की छत पर सोलर पैनल लगाएं। देश में राज्य सरकारों के साथ केंद्र सरकार भी सोलर पैनल लगाने के लिए सब्सिडी दे रही है और आप अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगाकर अपनी जरूरत को पूरा कर सकते हैं।
सोलर पैनल रूफ की कीमत : सरकार सोलर पैनल लगाने पर काफी सब्सिडी दे रही है। साथ ही अगर आप सोलर एनर्जी से ज्यादा बिजली पैदा करते हैं तो आप उसे सरकार को बेच भी सकते हैं। केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय रूफटॉप सौर संयंत्रों पर 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करता है। अगर आप इसे अपने खर्च पर इंस्टॉल करते हैं तो इसकी कीमत करीब 76000 रुपये होगी। ग्राहक बैंक ऋण के साथ सौर पैनल भी स्थापित कर सकते हैं। सरकार से सब्सिडी मिलने के बाद एक घर में 15600 रुपये का निवेश किया जा सकता है।
सौर पैनलों का सेवा जीवन लगभग 25 वर्ष है और रखरखाव में कोई लागत नहीं है। आपको सिर्फ 10 साल में बैटरी बदलनी है, इसकी कीमत करीब 20 हजार रुपये है। इससे न सिर्फ मुफ्त बिजली मिलेगी। केंद्र सरकार के अलावा कुछ राज्य सरकारें भी सब्सिडी प्रदान करती हैं।अगर 2 kW का सोलर पैनल लगा दिया जाए तो 10 घंटे की धूप से 1 महीने में करीब 10 यूनिट बिजली यानी करीब 300 यूनिट बिजली पैदा होगी. अगर आप एक महीने में 100 यूनिट बिजली की खपत करते हैं, तो आप बची हुई बिजली सरकार को बेच सकते हैं।
अगर आप अपने घर में सोलर सिस्टम लगाना चाहते हैं तो आपके मन में कई सवाल होंगे। सोलर सिस्टम लगाने से पहले पता करें कि आपका घर औसतन कितनी बिजली का इस्तेमाल करता है। फिर इसे प्रतिदिन सूर्य के प्रकाश के औसत घंटों से गुणा करें। फिर आप कुल को पैनल वाट क्षमता से विभाजित करेंगे। सोलर पावर सिस्टम लगाने वाली कंपनियां भी आपको इस बारे में पूरी जानकारी देती हैं। इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। मान लीजिए कि प्रतिदिन औसतन 4 घंटे अच्छी धूप मिलती है। आप 325 वाट का सोलर पैनल खरीद रहे हैं। प्रत्येक पैनल प्रति दिन 1,300 वाट-घंटे (1.3 kWh) ऊर्जा का उत्पादन करता है। उस स्थिति में, यदि आप प्रतिदिन औसतन 29 kWh बिजली की खपत करते हैं, तो आपको 325 वाट के 23 पैनल लगाने होंगे।
सौर ऊर्जा अब भारत सहित दुनिया के कई देशों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का मुख्य साधन बनता जा रहा है। एक नया विकल्प खोजा गया है, जिसे मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनल के रूप में जाना जाता है, ताकि बादलों या ठंडे कोहरे से यह ऊर्जा आपूर्ति बाधित न हो। यह सोलर पैनल साधारण पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल से बहुत अलग है। ये सोलर पैनल कम धूप में भी आसानी से बिजली पैदा कर सकते हैं।
मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनलों में पॉलीक्रिस्टलाइन सौर पैनलों की तुलना में अधिक दक्षता होती है। यह प्रति वर्ग फुट अधिक ऊर्जा पैदा करता है। मोनोक्रिस्टलाइन सौर सेल सिलिकॉन के शुद्ध रूप से बने होते हैं। इसके अलावा, मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनल स्थापित करने का लाभ यह है कि उन्हें स्थापित करने के लिए 18% कम जगह की आवश्यकता होती है। इसमें भी कम तार का प्रयोग किया गया है। मोनोक्रिस्टलाइन पैनल सूरज की रोशनी से बिजली पैदा करते हैं। जब सूर्य का प्रकाश एक सिलिकॉन अर्धचालक से टकराता है, तो प्रकाश से महत्वपूर्ण ऊर्जा अवशोषित होती है। जिसके कारण इलेक्ट्रॉन बिखर जाते हैं।
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल से सोलर सेल बनाने के लिए सिलिकॉन बार को वेलिक के रूप में बनाया और काटा जाता है। ऐसे पैनलों को मोनोक्रिस्टलाइन कहा जाता है। इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला सिलिकॉन सिंगल क्रिस्टल सिलिकॉन होता है। जहां एक साधारण सौर पैनल दिन में केवल 8 घंटे काम करता है, वहीं एक मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनल दिन में 10 घंटे ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।
5 साल तक कंपनी करेगी मेंटेनेंस एक जरूरी बात ये है कि सरकार द्वारा विकसित डेवलपर्स या विक्रेता के यहां से ही उपभोक्ता को सोलर प्लांट लगवाना होगा , तभी सब्सिडी मिल सकती है . इसके फायदे भी खूब हैं . सोलर प्लांट लगने से एक बार के निवेश से आपको मुफ्त बिजली मिलती रहेगी . बड़ी बात ये है कि पांच साल तक कंपनी ही सोलर प्लांट का रखरखाव करेगी . यानी आपको इस झंझट से भी मुक्ति मिल जाएगी .
ऑनलाइन पोर्टल पर कर सकते हैं आवेदन योजना के अंतर्गत रूफटॉप सोलर प्लांट स्थापित करने के इच्छुक आवासीय उपभोक्ता ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं और सूचीबद्ध विक्रेताओं द्वारा घर की छत पर रूफटॉप सोलर प्लांट लगवा सकते हैं . इसके लिए उन्हें विक्रेता ( वेंडर ) को निर्धारित दर के अनुसार मंत्रालय द्वारा दी जाने वाली अनुदान ( Subsidy ) राशि को कम करके रूफटॉप सोलर प्लांट की लागत का भुगतान करना होगा और इस बारे में प्रक्रिया विद्युत वितरण कंपनियों ( Discoms ) के ऑनलाइन पोर्टल पर दी गई है .