डेस्क : देश में बढ़ती जनसंख्या तो चिंता का विषय है हीं। लेकिन अब विवादों की बढ़ती संख्या भी चिंता का विषय बन गया है। विवादों को देखते-देखते और सुनते- सुनते रात में नींद भी आती है और विवादों के साथ ही अब नींद भी खुलने लगा है।अब तो ऐसा लगता है जबरदस्ती विवादों से गहरा नाता जोड़ना ही पड़ेगा। प्यार का प्रतीक ताजमहल भी अब विवादों के घेरे में आ गया है।
लखनऊ हाई कोर्ट में ताजमहल को लेकर एक याचिका दायर की गई है जिसमें यह कहा गया है कि ताजमहल के ऊपरी हिस्से बने 20 कमरों को खोला जाए। याचिकाकर्ताओं का मानना है उन 20 कमरों में शिव जी की मूर्तियां और शिलालेख रखें हुएं है। इसके अलावा हाईकोर्ट से सरकार को एक तथ्य कमेटी गठित करने की भी मांग की गई है जो ताजमहल या पौराणिक धरोहरों से जुड़े तथ्यों की जांच करें। याचिकाकर्ता अयोध्या के बीजेपी इकाई के मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश कुमार सिंह हैं। डॉ सिंह के अधिवक्ता रूद्र विक्रम सिंह हैं जिनके माध्यम से याची करता ने याचिका दाखिल किया है।
उनका आरोप है कि भगवान शिव की मूर्तियां और शिलालेख मुगल बादशाह शाहजहां ने ताजमहल के ऊपरी हिस्से में बने कमरों के अंदर छिपा कर रख दिया था। विगत कुछ दिन पहले हैं अयोध्या के परमहंस दास ने भी ताजमहल के अंदर भगवान शिव की पिंडी होने का दावा किया था। आपको बता दें कि यह विवाद धीरे-धीरे और गहराता जा रहा है। ताजमहल को तेजो महालय मारने वाले लोगों का ऐसा मानना है कि यह ऐतिहासिक साक्ष्य आज भी ताजमहल के अंदर छुपाए गए हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि ताजमहल एक प्राचीन स्मारक है और हिंदू धर्म लोगों को इसकी सही, पुख्ता और तथ्यात्मक जानकारी होनी चाहिए।
इसी सच को सामने लाने के लिए यह याचिका दाखिल की गई है। लोगों का दावा है कि पहले यहां भगवान शिव का मन्दिर था जिसे मुगल बादशाह शाहजहां ने तोड़ दिया था। अब कोर्ट के फैसला के बाद ही पता चल पाएगा कि किसके बात में कितनी सच्चाई है।