बिहार के इस गांव में 87 साल बाद पहुंची रेल गाड़ी, आगमन होते ही लोगों ने की पूजा- अर्चना – इंजन देखने आई भीड़

डेस्क : भारत में रेल गाड़ियां काफी समय से चल रही हैं। बता दें कि रेलगाड़ियों का दौर अंग्रेजों द्वारा शुरू किया गया था। लेकिन, जिस तरह से रेलगाड़ियों का इस्तेमाल आज के वक्त होता है वैसे 100 साल पहले नहीं होता था। क्योंकि, अंग्रेजों ने भारत में रेलवे लाइन अपने वाणिज्यिक कार्यों को स्थापित करने के लिए किया था। ऐसे में वह ज्यादातर वही कार्य करते थे जिससे ब्रिटिश लोगों की जिंदगी में सुधार हो सके। लेकिन, धीरे-धीरे समय बीता तो भारत को आजादी दिलाने वाले माहानायकों ने इस बड़ी रेल व्यवस्था को अपने अंतर्गत ले लिया। इसको आम जनमानस के लिए अब बहाल किया जा चूका है।

बता दें कि बिहार के सुपौल जिले के सरायगढ़-निर्मली रेलखंड पर आसनपुर-कुपहा से निर्मली तक बड़ी रेल लाइन का निर्माण पूरा किया गया है। बता दें कि यह रेल लाइन 87 वर्ष बाद आम नागरिकों के लिए शुरू होने जा रही है। ऐसे में जब यल रेल लाइन बनकर तैयार हुई तो लोगों ने इसकी पूजा की और इंजन को देखने के लिए दूर दूर से लोगों ने भीड़ जुटाई। ट्रेन के आने जाने से पहले स्पीड ट्रायल किया जाता है। स्पीड ट्रायल सफलतापूर्वक खत्म हो चुका है और अब लोगों को इंतजार है कि जल्द से जल्द ट्रेन शुरू हो जाए। यह रेल पटरी 1934 में भूकंप आने की वजह से उखड़ गई थी। ऐसे में पूरी तरह से रेल लाइन खत्म हो गई थी और लोगों के लिए आनन-फानन में ट्रेन सेवा बंद करनी पड़ी थी। जब अटल बिहारी वाजपेई योजना आई तो 6 जून 2003 को महाविद्यालय से कोसी नदी पर महासेतु का शिलान्यास हुआ।

रेलगाड़ी के शुरू होने से पहले विधिवत पूजा अर्चना की गई। इस पूजा अर्चना में रेलवे के कर्मचारी भी मौजूद थे और कर्मचारियों का कहना है कि पटरी को अच्छी तरीके से जांच परख लिया गया है। साथ ही रेलवे का निरीक्षण भी कर दिया गया है। अब जल्द ही पैसेंजर ट्रेन को हरी झंडी मिलने वाली है। बता दें कि अब आसनपुर कोकोआ स्टेशन के लिए आने जाने वाले यात्रियों को काफी सुविधा हो जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 18 सितंबर 2020 को उद्घाटन किया गया था।

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