आने वाले समय में ये 4 बैंक होंगे प्राइवेटाइज, करोड़ों ग्राहकों पर पड़ेगा सीधा असर

डेस्क : बैंकों के निजीकरण के चलते सभी बैंक कर्मचारी परेशान हैं। समय-समय पर बैंक कर्मचारी अपना विरोध दिखाते हैं। सरकार ने अब फैसला कर लिया है की वह मिड साइज्ड और और छोटे बैंकों के शेयर को बेचने वाली है। सरकारी विभाग निति आयोग की ओर से यह साफ़ कहा गया है की आने वाले समय में 4-5 बैंक प्राइवेट हो सकते हैं। साल 2021 के बजट के दौरान यह बात साफ़ कही गई थी की आने वाले समय में बैंकों का प्राइवेटाइजेशन तय है।

उपर्युक्त बताए गए 4 में से 2 बैंकों का निजी करण होना तय है। एक्सपर्ट्स का कहना है की आने वाले समय में सरकार यह काम और भी कई बैंकों के साथ कर सकती है। एक्सपर्ट से बात चीत के दौरान यह बात सामने आई है की सरकार देश में सिर्फ 5 बैंक ही रखना चाहती है और बाकी के बचे बैंक या तो विलय हो जाएंगे या फिर उनको प्राइवेट कर दिया जाएगा। इसके लिए इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र चुनें गए हैं।

ऐसे में अभी तक इस बात पर कोई खुलकर बात सामने नहीं आई है। अगर ऐसा होता है तो पूरे देश में इसका असर होगा। बीते समय में सरकार के खिलाफ भारत के कई बड़े राज्यों में बैंकों के कर्मचारियों ने बैंकों के प्राइवेटाइजेशन पर आवाज़ उठाई थी, कर्मचारियों के मन में डर का माहौल है। सर्कार का मानना है की बैंक के जो ग्राहक हैं उनको इस बारे में सोचने की कोई आवश्यकता नहीं है क्यूंकि उनके ऊपर इस बात का कोई असर नहीं पड़ेगा।

भारतीय रिज़र्व बैंक की और से साफ़ कहा गया है की आने वाले समय में covid-19 के चलते अनिश्चिताएं बढ़ सकती हैं। विश्व की सबसे बड़ी मुद्राओं में आने वाली मुद्रा डॉलर में मामूली गिरावट देखी गई है। भारत के लिए जिस प्रकार डॉलर की कीमत रूपए से आंकी जा रही थी, उसी प्रकार वह आंकी जाएगी, इसमें किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है।

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