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कुंवारी कन्याओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण होता है हरितालिका तीज? जाने पूजा करने की विधि और मुहूर्त

डेस्क : अखंड सौभाग्य का व्रत है हरितालिका तीज. हरितालिका तीज का व्रत कुंवारी और सौभाग्यवती स्त्रियां करती है. कुंवारी कन्या सुयोग्य जीवनसाथी पाने की कामना से यह हरितालिका तीज का व्रत रखती हैं जिससे उनको माता पार्वती की तरह मनचाहा वर प्राप्त हो सके। इस बार यह 21 अगस्त को मनाई जाएगी. यह व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए किया था. हरितालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. हरितालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के साथ-साथ गणेश जी की भी पूजा होती है ताकि उनका व्रत बिना किसी विघ्न बाधा के पूर्ण हो जाए।

यह व्रत कुंवारी कन्याओं के लिए क्यों है महत्वपूर्ण माता पार्वती ने भगवान शिव को पति स्वरूप में पाने के लिए कठोर तप किया था,इसके लिए उन्होंने अपने हाथों से स्वयं शिवलिंग बनाया और उसकी विधि विधान से पूजा की. इसके फल स्वरुप भगवान शिव माता पार्वती को पति स्वरूप प्राप्त हुए. कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की अभिलाषा से हरितालिका तीज का व्रत करती हैं ताकि उनको भी माता पार्वती की तरह मनचाहा वर प्राप्त हो सके.

क्या है मान्यता है मान्यता है कि हरितालिका तीज का व्रत करने से सुहागिन महिला के पति की उम्र लंबी होती है जबकि कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है. यह मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश में मनाया जाता है. तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इस व्रत को “गौरी हब्बा” के नाम से जाना जाता है लेकिन इस बार जन्माष्टमी की ही तरह हरितालिका तीज की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

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क्या है सही मुहूर्त
प्रातः काल: 5:54 बजे से 8:30 बजे तक.
प्रदोष काल: शाम 6:54 से रात 9:06 बजे तक.

हरतालिका तीज की पूजा विधि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी 21 अगस्त के प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें. उसके बाद पूजा स्थान को शुद्ध कर ले. अब हाथ में जल और पुष्प लेकर हरितालिका तीज व्रत का संकल्प करें.इसके पश्चात सुबह या प्रदोष के पूजा मुहूर्त का ध्यान रखकर पूजा आरंभ करें. सबसे पहले मिट्टी का शिवलिंग बनाए, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्ति बना ले.सर्वप्रथम भगवान शिव को गंगाजल से अभिषेक करें, और उनको भांग, धतूरा, बेलपत्र, सफेद चंदन, सफेद पुष्प, फल आदि अर्पित करें.

इस दौरान ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें. फिर माता पार्वती को अक्षत, सिंदूर, फूल, फल, धूप दीप आदि अर्पित करें और इस दौरान ओम उमाय नमः मंत्र का जाप करें. आप सुयोग्य वर की कामना से यह व्रत कर रहे हैं इसलिए माता को सुहाग की सामग्री जैसे मेहंदी, चुनरी, सिंदूर,कंगन इत्यादि अर्पित करें. इसके पश्चात श्री गणेश जी की पूजा करें और व्रत की कथा का पाठ करें. माता पार्वती,भगवान शिव और गणेश जी की आरती करें इसके बाद क्षमा याचना करें।

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