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प्रेरणा : IPS बनने के बाद भी संतुष्ट नहीं हुई ये लड़की, दो बार क्लीयर की UPSC परीक्षा, पहले बनीं IPS फिर IAS

डेस्क : कश्मीर भारत के लिए विवादित मुद्दा रहा है ऐसे में कश्मीर के युवा कई बार ऐसी गतिविधियों में पाए जाते हैं जो कि गैरकानूनी होती हैं। लेकिन वही कुछ युवा ऐसे भी हैं जो भारत की प्रशासनिक सेवाओं में हिस्सा लेना चाहते हैं और देश का नाम रोशन करना चाहते हैं। साथ ही साथ वह कश्मीर की जरूरते भी समझते हैं और उनको यह बखूबी पता है कि कश्मीर को आगे बढ़ाने के लिए किन चीजों पर काम करना है। ऐसे में कश्मीर घाटी की बहादुर बेटी रुवेदा सलाम का पूरा बचपन आतंकवाद में ही बीता है, जिस कारण उन्होंने या निश्चय किया कि वह अपना कुपवाड़ा स्थित पैतृक आवास छोड़कर श्रीनगर आ गई।

उन्होंने अपनी पढ़ाई श्रीनगर में पूरी की, उन्होंने के ए स की परीक्षा भी क्लियर की लेकिन उनके पिता का सपना था कि वह यूपीएससी की तैयारी करें और एक अफसर बने। अपने पिता का सपना पूरा करने के लिए उन्होंने अफसर बन कर दिखाया और इसके लिए उनको दूसरे प्रयास में सफलता हासिल हुई। आपको बता दें कि रुवेदा सलाम कश्मीर की पहली महिला आईपीएस का खिताब अपने नाम दर्ज कर चुकी हैं। उनके पिताजी सलामुद्दीन दूरदर्शन केंद्र के उप निदेशक रह चुके हैं और उनकी माताजी हेड मास्टर रह चुकी है। शुरू से ही उनके घर पर पढ़ाई लिखाई का माहौल बना रहा है।

जब उन्होंने 12वीं की परीक्षा पास कर ली थी तो उनका सिलेक्शन एमबीबीएस के लिए हो गया था, जिसके लिए उनको श्रीनगर का सरकारी मेडिकल कॉलेज मिला था। साल 2009 में वह 27 साल की हो गई थी, उस वक्त उनकी डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी हो गई थी और वह मरीजों के लिए काम करने लगी थी। लेकिन भारत और भारतीय संस्कृति के मुताबिक लड़कियों को ज्यादा अपने हिसाब से रहने नहीं दिया जाता, जिसके चलते पारिवारिक दबाव आने लगा और उनके रिश्तेदार कहने लगे कि इतना ज्यादा लड़की को मत पढ़ाओ, इसकी शादी कर दो क्योंकि आने वाले समय में अगर उम्र निकल गई तो कोई अच्छा लड़का नहीं मिलेगा। इस तरह के और भी अनेकों दबाव रुवेदा के पिता पर डाले गए। परिवार पर ताने भी मारे गए लेकिन उनका इरादा टस से मस न हुआ और इन बातों का असर उनके पिता सलामुद्दीन पर भी नहीं पड़ा।

उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी की बातें सुनी और 2009 में कश्मीर एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज की परीक्षा को क्लियर कर लिया जैसे ही यहां परीक्षा उन्होंने पहले प्रयास में क्लियर की तो सभी परिवार वालों का मुंह बंद हो गया और उनको सीधा नौकरी के लिए बुला लिया गया। लेकिन, उनके पिताजी ने समझाया कि अब तुम यूपीएससी की तैयारी करो जिसके चलते उन्होंने 2013 में पहला प्रयास दिया और पहले प्रयास में ही उन्होंने आईपीएस बनकर दिखाया। उनको 25 वी रैंक मिली और उन्होंने सोच लिया कि अगर पुलिस में भर्ती हो जाएंगी इस तरह का कश्मीर की पहली महिला आईपीएस ऑफिसर बनी। इसके बाद उन्होंने जमकर मेहनत की और 2015 में आईएएस की परीक्षा में भी सफल हो गई। इस सफलता के बाद उनके पिता एवं पूरे परिवार में खुशियों की लहर दौड़ गई।

रूबेला का कहना है कि वह देश के हर नागरिक की सोच को बदलना चाहती हैं। वे जानती हैं कि इस वक्त कश्मीर को लेकर लोग क्या सोचते हैं। ऐसे में उनका सिर्फ एक ही मकसद है कि कश्मीर को लेकर लोगों के विचार सकारात्मक हों। अलग-अलग राज्यों में जाकर उन्हें घूमना पसंद है, कविताएं लिखना पसंद है और खाना बनाना बेहद अच्छा लगता है।

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