छठी कक्षा में हो गई फेल लेकिन मेहनत के रास्ते पर खरा उतरकर हासिल की सफलता – आईएएस बन परिवार का नाम किया रोशन

डेस्क : आज हम बात करने वाले हैं रुकमणी रियार की, रुकमणी की उम्र 24 वर्ष है और वह गुरदासपुर जिले के जमींदारों के परिवार से आती हैं, रुकमणी ने 2011 की सिविल सेवा परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की थी। लेकिन, उनका यह सफर आसान नहीं था। उनको अपने इस संघर्ष में कई बार मुसीबत झेलनी पड़ी है। उनके पिता का नाम बलजिंदर सिंह रियार है और वह होशियारपुर के सेवानिवृत्त उप जिला अटॉर्नी हैं। उनके पिताजी लम्बे समय से वकालत कर चुकें हैं। रुकमणी की माताजी का नाम तकदीर कौर है और पेशे से वह गृहिणी हैं।

रुकमणी अपने माता-पिता की इकलौती संतान है। रुकमणी ने अपनी स्कूली शिक्षा सेक्रेड हार्ट स्कूल हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से पूरी की है। उन्होंने अमृतसर में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय से स्नातक की है, इतना ही नहीं टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से उन्होंने सामाजिक विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन में गोल्ड मेडल लिया हुआ है। रुक्मणि का मन पढ़ाई में खूब लगता था और वह शुरू से ही आईएएस अधिकारी बनना चाहती थी। इसके चलते उन्होंने अपना विषय सोशल साइंस रखा क्यूंकि उनको वह पढ़ना बेहद पसंद है।

रुक्मणि की माताजी का कहना है की वह बचपन से तेज थी इसलिए वह पहली बार में ही परीक्षा क्लियर कर लेगी इसका उनको पूरा विश्वास था। उनके पिताजी का कहना है की ऊपर वाले की कृपा और रुक्मणि की मेहनत से ही सब कुछ हुआ है। इस वक्त उनके पास दो डिग्रियां है एक सोशियोलॉजी और दूसरी पोलिटिकल साइंस। सिविल सेवा की नौकरी के अलावा उनको लिखना बहुत पसंद है और उन्होंने कई रचनाएँ भी लिखी हैं जिसमें उन्होंने यह बताया है की औरतों को कैसे काम करने में परेशानियां आती है। उनकी रचनाओं के नाम इस प्रकार है “Struggle with Reality” एंड ‘Skewed Sex Ratio in India: a cause for immediate concern’ हैं।

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