Desk : आज कल के इस दौर में जहां हर किसी को अपनी अपनी पड़ी है वहीं अगर कोई दूसरे के बारे में सोचने वाला मिल जाए तो हैरानी की बात तो है ही। जी हां ऐसा ही एक किस्सा सामने आया है जरूरतमंदों के लिए मसीहा बने एक पुलिसवाले का जिसने गरीब परिवारों के बच्चों को शिक्षित करने का भी जिम्मा उठाया है. जैसा कि हम सब जानते है की वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के खतरे के कारण भारत में भी सरकार ने लॉकडाउन कर दिया था.
इस दौरान पूरे देश पर तालाबंदी हो गई. सब बंद करदिया गया जैसे कि स्कूल-कॉलेज, दुकानें, मॉल, कारखाने, होटल-रेस्टोरेंट, पार्क, आदि. इसका गहरा असर बच्चों की पढाई पर भी पड़ा हालांकि पढ़ाई सुचारू रूप से चल सके इसके लिए स्कूलों द्वारा ऑनलाइन क्लासेज भी शुरू हुई. लेकिन बड़ी चुनौती उन मजदूरी करने वाले लोगों के सामने आई जो अपने बच्चों की पढ़ाई को चालू रखने के लिए लैपटॉप या स्मार्ट फोन को अफोर्ड ही नहीं कर सकते थे. ऐसे में लॉकडाउन के समय इन गरीब बच्चों के लिए मसीहा बने एक पुलिसवाले ने इनकी शिक्षा की बागडोर संभाली।
यहां बात हो रही है दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल थान सिंह की जिन्हें गरीब बच्चों की पढ़ाई का बहुत फिक्र है। बता दें कि वह ड्यूटी खत्म करने के बाद शाम 5 बजे से लालकिले के पीछे बने एक छोटे से मंदिर में पाठशाला लगाते हैं। गौरतलब है कि साल 2016 में उन्होंने 4 बच्चों के साथ इस पाठशाला की शुरुआत की थी, लेकिन अब उनके पास इस पास की झुग्गियों से करीबन 50 से 60 बच्चे पढ़ने आते हैं।
इतना ही नहीं वे इन बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ ही नैतिक मूल्यों के विषय में भी बताते हैं और उन्हे जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। कांस्टेबल थान सिंह कहते हैं कि इन बच्चों के माता-पिता मजदूर हैं और इनके पास इतने पैसे नहीं कि वे अपने बच्चों की पढ़ाई का इंतजाम कर सकें। मैंने 2016 में यह पाठशाला खोलने का फैसला किया था, तब 4 बच्चे आते थे। अब करीब 50 बच्चे आते हैं।