डेस्क : जिस प्रकार से बॉलीवुड जगत के सितारों की चर्चा होती है, उसी प्रकार से खेल जगत के खिलाड़ियों की भी चर्चा होती रहती है। इस वक्त हरभजन सिंह भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर आरोप लगाते नजर आ रहे हैं। आज हम आपके आगे इसीके बारे में चर्चा करने वाले हैं।
महेंद्र सिंह धोनी 2011 में जब भारत के लिए विश्व चैंपियन का खिताब जीत कर लाए थे तो उस टीम में उनके साथ हरभजन सिंह भी शामिल थे, लेकिन कुछ परेशानियों के चलते 2015 में हरभजन सिंह टीम में अपनी जगह नहीं बना पाए थे। हाल ही में हरभजन सिंह ने बड़ा ऐलान किया कि वह अब संन्यास ले लेंगे। उन्होंने कहा है कि उनके इंडियन क्रिकेट टीम से बाहर होने की वजह महेंद्र सिंह धोनी और बीसीसीआई के अधिकारी हैं।
बता दें कि साल 2013 में उनको आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर कर दिया गया था। इसके बाद फिर 2015 में उनको वर्ल्ड कप के लिए नहीं चुना गया। साल 2016 में उन्हें T20 वर्ल्ड कप के लिए चुना गया लेकिन वह सिर्फ बेंच पर ही बैठे रह गए और उन्हें खेलने का अवसर नहीं मिला। हरभजन सिंह ने साफ कहा है कि मेरा लक हमेशा मेरे साथ था। यदि कुछ लोग मेरा साथ दे देते तो मैं चार-पांच साल और खेलता। मेरे को परेशानी सिर्फ बाहरी तत्वों से हुई है। मैं जिस प्रकार की गेंदबाजी करता था वह काफी शानदार थी। मात्र 31 साल की उम्र में मैंने 400 विकेट ले लिए थे। मेरे दिमाग में था कि मैं आने वाले चार पांच साल और खेलूंगा। आने वाले समय में मैं 100 से 150 विकेट आराम से चटका सकता था।
आगे हरभजन सिंह ने कहा कि बीसीसीआई का पलड़ा हमेशा भारी रहता है। किसी भी इंडियन क्रिकेट टीम में कोई भी खिलाड़ी हो उसका औदा बीसीसीआई के अधिकारियों से ऊपर नहीं होता। धोनी के पास हमेशा से ही बीसीसीआई के अधिकारियों का पलड़ा भारी होता है जिसके चलते वह डिसीजन को बदल सकते थे। यदि बाकी खिलाड़ियों को भी धोनी और बीसीसीआई के अधिकारियों का समर्थन मिलता तो वह टीम में खेलते, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसका सीधा मतलब है कि अन्य खिलाड़ियों के पास खूब तजुर्बा है। बस किसी कारणवश उनको टीम में नहीं रखा गया। कोई भी खिलाड़ी इंडियन क्रिकेट टीम में रहते हुए संन्यास नहीं लेना चाहता लेकिन किस्मत सबका साथ नहीं देती।