स्पेशल फ्रंटियर फोर्स या विकास बटालियन , क्या है , क्यों है हो रहा है चीन को लेकर यह चर्चित !

डेस्क : इस साल जून के महीने में लद्दाख (Laddakh) के गलवान घाटी के घटना के बाद से ही भारत-चीन (Indo-china) की सेनाएं लगातार आमने सामने आ रही हैं। लेकिन इस बार चीन (China) ने टकराव के लिए गलवान को नहीं बल्कि लद्दाख के चुशूल इलाके को चुना है। किन्तु , भारतीय जवानों ने चीन की इस घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया गया है।

इस पूरे मामले में स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (SFF) यूनिट चर्चा में है जिसे विकास बटालियन भी कहा जाता है।विकास बटालियन की भारत चीन की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय नियंत्रण वाले अहम हिस्सों को कायम रखने में अहम भूमिका है। स्पेशल फ्रंटियर फोर्स का गठन साल 1962 में भारत चीन युद्ध के फौरन बाद हुआ था। इस फोर्स में प्रमुख रूप से तिब्बतियों की भर्ती की गई थी, लेकिन अब इसमें गोरखा और तिब्ब्त दोनों शामिल हैं।

उस समय इसका नाम एस्टेब्लिशमेंट 22 रखा गया था। इसे मेजर जनरल सुजान सिंह उभान ने बनाया था जो कमांडेड 22 माउंट रेजिमेंट के तोपखाना अफसर थे। उन्होंने ही तब अपनी रेजिमेंट के नाम पर इस समूह का नाम रखा था। बाद में इस समूह का नाम स्पेशल फ्रंटियर्स फोर्स रखा गया जो अब कैबिनेट सचिवालय के अंतर्गत है जहां इसकी अगुआई इंस्पेक्टर जनरल के हवाले होती है जो मेजर जरनल की रैंक का सैन्य अधिकारी होता है। एसएसफ की यूनिटों को ही विकास बटालियन कहा जता है।

खुद का अपने ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट

अजीब बात है लेकिन यह सच है कि एसएफएफ भारतीय सेना का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन वे सेना का ऑपरेशन कंट्रोल में काम करती है। इसकी रैंक संरचना पूरी करह के सेना की रैंक के समकक्ष है।सेना का हिस्सा न होने के बाद भी एसएफएफ बटालियन के जवानों को खास तरह की ट्रेनिंग दी जाती है जिससे वे किसी तरह के सैन्य कार्यों को अपने हाथ में लेकर पूरा कर सकती है जो कोई भी स्पेशल फोर्स यूनिट करती है। इसका खुद का अपने ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट है। महिला सैनिकों को भी इसमें शामिल किया जाता है।

एसएफएफ के बहुत से गोपनीय कामों में सफल भूमिका

एसएफएफ ने साल 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध, अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लूस्टार, कारगिल युद्ध और कई आंतकवादी रोधी कार्रवाइयों में सक्रिय और सफल भागीदारी निभाई है। इसके अलावा एसएफएफ के बहुत से गोपनीय कामों में भी सफल भूमिका रही है जिनके बारें खुलासा नहीं किया गया है।

एसएफएफ की सबसे उल्लेखनीय योगदान साल 1971 के भारत पाक युद्ध में ऑपरेशन ईगल को सफलतापूर्वक अंजाम देने का रहा था। जो उस समय के पूर्वी पाकिस्तान के चिट्टगोंग हिल्स में किया गया था। इसमें एसएफएफ की काम इस इलाका में पाकिस्तान सेना की उपस्थिति को बेकार करने का था जिससे भारतीय सेना आगे बढ़ सके।

इस अभियान में यूनिट के जवान पाकिस्तान की सैन्य रेखा के पीछे गए और उन्होंने पाक सेना की संचार व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया। इतना ही नहीं एसएफएफ ने बहुत से पाकिस्तानी सैनिकों को पूर्व में बर्मा (म्यांमार) की ओर भागने से भी रोका। इस बटालियन के बहुत से जवानों ने इस युद्ध में अनेक वीरता पुरस्कार जीते थे।चीन की सेना ने चुशूल सेक्टर में ब्लैक टॉप इलाके में घुसपैठ की कोशिश की। इसी जगह पर भारतीय सेना की चीनी सैनिकों के साथ झड़प भी हुई। जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया।

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