Success Story : बचपन में ही चली गई आंखों की रोशनी, बावजूद इसके BPSC परीक्षा पास कर बने अध्यापक…

Success Story: अगर आपके मन में कुछ करने की इच्छा हो तो जीवन की कोई भी परेशानी आपकी सफलता के बीच नहीं आ सकता। जी हां, यदि मन में कुछ करने का जज्बा हो तो लोग अपना लक्ष्य हासिल कर ही लेते हैं। आज की कहानी भी कुछ ऐसे ही शख्स की है।

आज हम बात कर रहे हैं रोहित कुमार (Rohit Kumar) की जो बचपन से ही दृष्टिहीन है। लेकिन उन्होंने अपनी कमजोरी को अपने सफलता के बीच बाधा बनने नहीं दिया। और इसी दृढ़ इच्छा शक्ति और मेहनत के दम पर रोहित कुमार (Rohit Kumar) ने बीपीएससी (BPSC) शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफलता पाई है। अब वह स्कूल जाकर बच्चों को सोशल साइंस (Social Science) पढ़ाएंगे।

परिवार को दिया अपनी सफलता का श्रेय

रोहित कुमार (Rohit Kumar) नेत्रहीन हैं। बावजूद इसके उन्होंने बीएससी (BPSC) शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफलता पाई। हाल ही में उन्हें नियुक्ति पत्र (Appointment Letter) दिया गया। पत्र पाकर वे काफी भावुक हो गए। रोहित कुमार (Rohit Kumar) ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और भाई बहनों को दिया। रोहित कुमार (Rohit Kumar) की नियुक्ति मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) जिले के मड़वन हाई स्कूल में हुई है।

4 साल की उम्र में चली गई आखों की रोशनी

मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के रोहित कुमार (Rohit Kumar) की आंखों की रोशनी 4 साल की उम्र में चली गई थी। उन्हें कई डॉक्टरों से दिखाया गया मगर उनकी आंखों की रोशनी वापस नहीं आई। मगर रोहित ने हौसला नहीं हारा उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी।

रोहित के पिता राजनाथ महतो का कहना है कि उनके बेटे ने मन लगाकर पढ़ाई की इसी वजह से आज वह शिक्षक बना। रोहित के पिता ने उनकी पढ़ाई लिखाई में उनका पूरा सहयोग किया। रोहित को कहीं भी जाना होता है तो वह अपने पिता के साथ जाते हैं। अभी स्कूल पढ़ाने जब वह जाएंगे तब भी उनके पिता उनके साथ रहेंगे। रोहित की इस उपलब्धि से पूरा परिवार बेहद खुश है।