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हर साल स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवस पर मनाया जाएगा पराक्रम दिवस – जानें ख़ास बात

डेस्क : भारत को जब भी जरूरत पडी आन बान शान की रक्षा के लिए तो हर व्यक्ति ने आगे आकर सीना चौड़ा कर हसते हुए मौत को गले लगा लिया। ऐसा ही कुछ साहस और पराक्रम सुभाष चंद्र बोस ने भी दिखाया था। दूसरे विश्व युद्ध के बाद अचानक उनकी मृत्यु की खबर से अनेकों स्वतंत्रता सेनानी और भारत में रह रहे लोगों की आंखों में आंसू आ गए थे।

खबरों के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि उनकी मृत्यु प्लेन क्रैश के दौरान हुई थी। लेकिन, आज तक यह गुत्थी सुलझ नहीं पाई कि उनकी मृत्यु किस प्रकार हुई। 60-70 के दशक में कहा जाता है कि गुमनामी बाबा के नाम से सुभाष चंद्र बोस दाढ़ी बढ़ाकर एक कमरे में रह रहे हैं जहां वह न बोलते हैं न किसी से बात करते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपना बसेरा ढूंढ लिया था लेकिन अब वह गुमनामी बाबा भी नहीं रहे।

आपको बता दें कि 23 जनवरी को 125 वीं जयंती है इस उपलक्ष में भारत सरकार जो पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही है उसने फैसला किया है कि वह हर वर्ष 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाएगी। इस पराक्रम दिवस के अनुसार अनेकों मंत्रियों को जोड़ा गया है जिसमें नरेंद्र मोदी द्वारा चालित कैबिनेट के मंत्री और अन्य राज्यों के मंत्री भी शामिल है।

इस पराक्रम दिवस की घोषणा पर उनके परपोते सी के बोस ने कहा कि अगर सरकार पराक्रम दिवस के बजाय प्रेम दिवस बनाती तो और अच्छा होता। लेकिन, सरकार के इस फैसले से वह खुश हैं। यह फैसला संस्कृति मंत्रालय द्वारा लिया गया है। जहां, पर एक उच्च स्तरीय कमेटी बैठाई गई है जिसमें ऊंचे स्तर के लोग शामिल हैं और इतिहासकार लेखकों की भी इस कमेटी में मौजूदगी है। उच्चस्तरीय लोगों में अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती, अभिनेत्री काजोल, संगीतकार ए आर रहमान और भारतीय कप्तान एवं पूर्व क्रिकेटर सौरव गांगुली मौजूद है।

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