अग्नीपथ योजना में शामिल उपद्रवी की अब खैर नहीं – कभी नहीं कर पाएंगे सरकारी नौकरी, जानें –

डेस्क : बिहार में अग्नीपथ योजना को लेकर इन दिनों बवाल मचा हुआ है। इसमें उपद्रव मचा रहे युवकों को जिंदगी भर सरकारी नौकरी नहीं मिल सकेगी। 16 जून से अभी तक 159 केस दर्ज है। 877 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है जो बिहार के उपद्रव में शामिल थे। पटना में सबसे अधिक 203 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।

पटना जिले में सबसे अधिक हंगामा बख्तियारपुर, खगौल, मसौड़ी, खीरी मोड़ और रानी तालाब आदि के इलाकों में हुआ। कई लोगों को इसमें कई नामजद लोगों को आरोपी बनाया गया। वहीं सैकड़ों अज्ञात को भी आरोपी बनाया गया। जिन थानों में उपद्रव के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई उन्हें हत्या की कोशिश, दंगा, सरकारी कार्यों में बाधा, अवैध रूप से हथियार रखने आदि की आईपीसी की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया है। यह सभी धाराएं गैर जमानत दिए और 3 साल व उससे अधिक की अवधि की है। जानकारी के मुताबिक 3 साल से अधिक की सजा वाले आईपीसी की धारा में प्राथमिकी दर्ज होने पर सरकारी नौकरी मिलने के दौरान काफी परेशानी हो सकती है, क्योंकि पुलिस वेरिफिकेशन में इसे बेहद गंभीर माना जाता है। वही 3 साल से कम आईपीसी की सजा दर्ज होने पर आरोपी को पुलिस वेरिफिकेशन में क्लीन चिट दे दी जाती है। हालांकि पुलिस और डिफेंस से जुड़ी नौकरी इन्हें नहीं दी जाती है।

सिविल कोर्ट के अधिवक्ता शैलेश कुमार सिंह ने कहा कि भादवी की धारा 147, 148 और 149 के तहत गैर कानूनी ढंग से एकत्रित हो दंगा करना है। जिस में अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है। इसी प्रकार भादवी धारा 332, 333, 337 के अंतर्गत सरकारी सेवकों के कार्य में बाधा डालने में अधिकतम एक वर्ष, भादवी धारा 353 में बल का प्रयोग कर सरकारी कार्य में अवरोध उत्पन्न करने पर 2 वर्ष या सजा या जुर्माना, भादवी धारा 307 हत्या का प्रयास के अंतर्गत 10 साल की सजा या आजीवन कारावास और या फिर जुर्माना, भादवी धारा में 27 आर्म्स एक्ट अवैध रूप से हथियार रखने के अंतर्गत अधिकतम 7 वर्ष की सजा, धारा 504 की अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को जानबूझकर अपमान करने के लिए उकसाना जमानती सजा है।

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