दूध के दांत टूटने के बाद हाथ में थाम लिया था बैडमिंटन- आज P V Sindhu ने लगातार भारत को दो बार मैडल जीता कर रचा इतिहास

डेस्क : साल 2016 में रियो ओलंपिक हुआ था। रियो ओलंपिक में पीवी संधू ने सिल्वर मेडल जीता था। बता दे कि 2016 में उनकी परफॉर्मेंस बहुत ही बेहतरीन चल रही थी। ऐसे में अब 4 साल के बाद ओलंपिक कोरोना के चलते स्थगित हो गया और वह 2021 में जापान की राजधानी टोक्यो में हो रहा है। बता दे की कोरोना के चलते ओलंपिक्स को 2021 में आयोजित किया गया है। ऐसे में अब पीवी संधू ने दोबारा बाजी मारी है। इस बार उन्होंने भारत को ब्रॉन्ज़ मेडल जीताया है। पीवी सिंधु ने लगातार दो बार मेडल जीत कर भारत में इतिहास रच दिया है। इससे पहले किसी भी महिला ने ऐसा काम करके नहीं दिखाया था।

पीवी सिंधु ने बहुत ही बेहतरीन पारी खेली और अपने आखिरी मैच में उन्होंने चाइना की बिंगजियाओ को 21-15 और 21-13 से मात दी। कड़ी टक्कर देने और अपने प्रतिद्वंदी को हारने के बाद उन्हें ब्रोंज मेडल मिला है। ऐसे में जिंदगी के कुछ वर्षों में ही उन्होंने गहरी छाप छोड़ी है। पीवी सिंधु को देखकर भारत ही नहीं बल्कि भारत के बाहर रह रही लड़कियां भी प्रेरित होती है। यदि हम पीवी सिंधु के पुरस्कारों की बात करें तो उनको 2013 में अर्जुन पुरस्कार, साथ ही 2016 में गांधी खेल रत्न पुरस्कार और 2015 में पद्मश्री के साथ-साथ 2020 में पद्म भूषण पुरस्कार मिल चुका है। उन्होंने इस बड़े मुकाम को हासिल करने के लिए संघर्ष किया। पीवी सिंधु ने छोटी उम्र में ही बैडमिंटन के खेल की बारीकियां समझ ली थी।

मात्र 8 साल की छोटी आयु में उन्होंने बैडमिंटन से बड़े-बड़े प्रतिद्वन्द्वियों को मात देना शुरू कर दिया था। पीवी सिंधु का पूरा नाम पुर्ष वेंकट सिंधु है। सिंधु के पिता जी पी वी रमन और माताजी विजया है। दोनों वॉलीबॉल के खिलाड़ी रह चुके हैं और दोनों ही नेशनल लेवल तक इस खेल को लेकर जा चुके हैं। सिंधु के पिताजी को अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया है। वर्ष 2001 में पीवी सिंधु ने ठान लिया था कि वह एक बेहतरीन बैडमिंटन प्लेयर बनेंगी और 8 साल की उम्र में उन्होंने बैडमिंटन की तालीम शुरू कर दी थी। धीरे-धीरे समय और पीवी सिंधु को इस खेल में कुछ अलग करने का जोश आ गया और उन्होंने आज भारत को दो बार मैडल दिलवा दिया।

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