डेस्क : आज हम आपको ऐसी बेटे के बारे में बताने जा रहे है जिसके पिता ने अपने बेटे की पढाई में खेत तक बेच दिया मगर बेटे ने अपनी नौकरी छोड़ पालना करना उचित समझा। आईए जानते हैं ऐसा आख़िर क्यों हुआ? बेटे का नाम संतोष, संतोष के पिता नहीं चाहते थे कि उनका बेटा खेतों में काम करे।
उनके जैसा किसान बने। वह अपने बेटे को एक सफल इंजीनियर बनाना चाहते थे। शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थान IIT में पढ़ाना चाहते थे। उसने अपनी जमीन भी बेच दी ताकि उसके बेटे की पढाई के रास्ते में पैसे की समस्या न आए। संतोष का कहना है कि उसके परिवार की 5 कट्टे जमीन उसकी पढ़ाई का खर्च चलाने के लिए बेच दी गई थी। लेकिन उनकी मंजिल इंजीनियरिंग नहीं थी।
वह इंजीनियर बनने के लिए पढ़ाई कर रहा था लेकिन उसके दिमाग में हमेशा डेयरी का धंधा रहता था। इन सबके बीच वे बचपन से ही पले-बढ़े हैं। अंत में 35,000 रुपये की इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर गांव में गाय पालने लगे। शुरुआत में एक साल तक उन्होंने खुद अपने आइडिया पर एक्सपेरिमेंट किया। एक साल बाद उन्होंने आनंद सागर नेचुरल डेयरी फार्म प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की। संतोष ने बताया कि फिलहाल वह पटना के 200 ग्राहकों तक रोजाना दूध पहुंचाते हैं।
पशुपालन मंत्री से लेकर सांसद तक अपनी डेयरी से दूध का सेवन करते हैं। वे अब तक 75 हजार लीटर दूध और करीब 75 लाख रुपये अन्य माध्यमों से कारोबार कर चुके हैं। वर्तमान में लगभग 15 लोगों को नियमित रोजगार दे रहे हैं। संतोष ने बताया कि वह फ्रेंचाइजी मॉडल बनाकर अपने आइडिया पर अमल कर रहे हैं। वे ऐसी महिलाओं को जोड़ रहे हैं जो पहले से ही डेयरी कारोबार से जुड़ी हैं। मई तक 12 महिलाओं का काम भी शुरू हो जाएगा। उनका प्राथमिक लक्ष्य 1000 महिलाओं को इससे जोड़ना है।
अपने मॉडल के जरिए वह उन महिला किसानों का चयन करते हैं जिनके पास कम से कम 500 वर्ग फुट जमीन है। वे बैंकों से कर्ज लेकर अपनी जमीन पर शेड बनाते हैं। 10 शाहीवाल एक गाय खरीदता है और उसके भोजन और स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था करता है। उनसे उनका दूध खरीदकर उसकी बिक्री की बात करते हैं। वे 10 साल के लिए किसान के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट भी बनाते हैं।उनका आइडिया कितना हिट है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे स्टार्ट अप इंडिया और बिहार स्टार्ट पोलिश दोनों में चुना गया था।