Madarsa Facts : मदरसे में क्या होती है पढ़ाई, कौन देता है इन्हें पैसा? यहां जान लीजिए…

Madarsa : देश में मदरसों की कार्यप्रणाली पर कई बार सवाल उठते रहते हैं। इनमें असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्वशर्मा खुलेआम मदरसे को बंद करने की बात कहते नजर आते हैं।

वहीं, यूपी में एसआईटी जांच में 13 हजार मदरसे अवैध पाए गए। एसआईटी को शक है कि इन मदरसों का निर्माण हवाला के जरिए मिले पैसे से किया गया है। कई मदरसा संचालकों ने स्वीकार किया है कि इनका निर्माण खाड़ी देशों से मिले दान से किया गया है। यूपी एसआईटी ने अपनी जांच में पाया कि इन मदरसों में धर्मांतरण गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा था. आइए आज मदरसे से जुड़ी बातें जानते हैं।

मदरसा में क्या होती है पढ़ाई

ऐसा माना जाता है कि इस्लाम धर्म को जानने का रास्ता मदरसे से होकर जाता है। मदरसे में धार्मिक शिक्षा दी जाती है, ताकि लोग इस्लाम धर्म के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकें।

दरअसल, ‘मदरसा’ एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब अध्ययन का स्थान होता है। मदरसे एक तरह से इस्लामिक स्कूल हैं। मदरसों में अध्ययन की पद्धति और पाठ्यक्रम उनके संबद्ध बोर्ड, प्रबंधन और शिक्षण पद्धति के आधार पर भिन्न-भिन्न होते हैं। धार्मिक शिक्षा में कुरान, हदीस, तफ़सीर, फ़िक़्ह और इस्लामी इतिहास जैसे धार्मिक विषय पढ़ाए जाते हैं।

मदरसों में धार्मिक शिक्षा का महत्व:

मदरसे छात्रों को धार्मिक शिक्षा प्रदान करते हैं जो उन्हें अपने धर्म को बेहतर ढंग से समझने और उसकी शिक्षाओं का पालन करने में मदद करती है। मदरसे छात्रों को अच्छे नागरिक बनने और समाज में योगदान देने के लिए आवश्यक मूल्यों को विकसित करने में मदद करते हैं।

वहीं, मदरसों से शिक्षित छात्रों को शिक्षण, धार्मिक नेतृत्व और अन्य क्षेत्रों में रोजगार के अवसर मिलते हैं। भारत में पहला मदरसा 1191-92 ई. में अजमेर में खोला गया। हालाँकि, यूनेस्को का कहना है कि भारत में मदरसों की शुरुआत 13वीं सदी में हुई थी।