डेस्क : भारत में ऐसे होनहार बच्चों की कमी बिलकुल भी नहीं है जो पढ़ने में पीछे हो। कई ऐसे बच्चे हैं जिनके पास सुख सुविधा का अभाव है, लेकिन इसके बावजूद वह मेहनत करने में पीछे नहीं हटते हैं। गरीबी के कारण वह यह बहाना नहीं देते की हमारे पास संसाधनों की कमी है। बल्कि, वह तो यह देखते हैं की जितने भी संसाधन उपलब्ध हैं, उनसे ही कैसे रास्ता खोजा जाए। भारत के उत्तर में स्थित पंजाब राज्य में एक लड़की ने यह बात सच साबित करके दिखा दी। पंजाब के मानसा जिले की जसप्रीत कौर ने तब बाजी मारी जब उनके नंबर 450 में 448 आए। जसप्रीत ने यह अंक बारहवीं कक्षा में प्राप्त किए थे।
जसप्रीत कौर ने बचपन से ही काफी गरीबी झेली है। इतनी छोटी उम्र में अगर कोई बड़े स्तर की गरीबी झेल लेता है तो वह दिमाग से काफी परिपक्व हो जाता है। आपको बता दें कि जसप्रीत के पिताजी एक हेयर ड्रेसर का काम करते हैं, जिसके जरिए वह दिन में 200 रूपए से 250 रूपए कमाते हैं। ऐसे में महीने का मात्र ₹10,000 भी नहीं होता है लेकिन फिर भी पैसों के अभाव में किसी के हौसले पस्त नहीं होते।
जसप्रीत कौर के हौसले भी पैसों के अभाव के आगे नहीं आड़े आए और जसप्रीत ने दिन रात मेहनत की, जब पढ़ाई में कोई परेशानी या रुकावट आई तो अपने सरकारी स्कूल के शिक्षकों की मदद ले लेती थी। जसप्रीत कौर के घर में पता चला कि वह टॉपर बनी है तो उनके घर में खुशी की लहर दौड़ पड़ी और उनके माता-पिता को अपनी बेटी पर काफी नाज़ हुआ। जसप्रीत कौर का कहना है कि जब वह आगे की पढ़ाई करेंगी तो वह टीचर बनेगी और टीचर बनकर अंग्रेजी पढ़ाएंगी साथ ही अपने परिवार की आर्थिक सहायता करने के लिए हमेशा तैयार रहेंगी।