डेस्क : महेंद्र सिंह धोनी ने क्रिकेट जगत को अलविदा कह दिया है, लेकिन अभी भी वह क्रिकेट के चाहने वालों के दिलों में बसे हुए हैं। एक समय ऐसा था जब धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया हर मैच जीत जाती थी। धोनी की वजह से भारत ने 2007 में T-20 वर्ल्ड कप जीता था। इतना ही नहीं 2011 का वनडे वर्ल्ड कप भी धोनी के नेतृत्व में टीम इंडिया को मिला था। ऐसे में 2009 के समय पर भारतीय टीम टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर पहुंच गई थी।
धोनी की काबिलियत हम सिर्फ मैच जीतने से ही नहीं बल्कि मैच के हारने से भी लगा सकते हैं बता दें कि जब 2011 के बाद भारतीय टीम विदेशी दौरे पर थी तो भारतीय टीम ने विदेशी सरजमीं पर 8 में से 8 मैच हारे थे। तब टीम इंडिया को इंग्लैंड से करारी हार मिली थी। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया की टीम से भी भारतीय टीम ने चारों टेस्ट मैच की श्रृंखला हारी थी। इन सभी हार का जिम्मेदार महेंद्र सिंह धोनी ने खुद को ठहराया था। उन्होंने कहा था कि मैं भारतीय टीम का कप्तान हूं, इसलिए हार का मुख्य दोषी भी मैं ही हूं।
धोनी ने साफ शब्दों में कहा था कि इस हार का दोषी मैं हूं क्योंकि मेरे नेतृत्व में टीम खेलती है और जैसा मैं कहता हूं वैसा ही सारे खिलाड़ी करते हैं। इसलिए हार का दोषी मैं ही हूँ। इतना ही नहीं बल्कि जब भारतीय टीम ने टेस्ट सीरीज गंवा दी थी तो इंग्लैंड दौरे पर वह टी20 की श्रृंखला से भी बाहर हो गए थे। तब भारतीय टीम एक मैच भी नहीं जीत पा रही थी। करारी हार के बावजूद भी धोनी का मनोबल कम नहीं होता था।
दरअसल, ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सीरीज के तीसरे मैच के बाद ही महेंद्र सिंह धोनी ने संन्यास ले लिया था। तब वह टेस्ट क्रिकेट खेलना छोड़ चुके थे। उस सीरीज को भी भारत ने अपने हाथ से गंवा दिया था। इसके बाद ही विराट कोहली के हाथ में सारा भारतीय टीम का दारोमदार आ गया था। वैसे तो विराट कोहली ने भी बतौर कप्तान बनकर भारतीय टीम को कई जीत दिलाई है, लेकिन आज तक वह आईसीसी ट्रॉफी नहीं दिलवा पाए हैं। आज तक यह काम सिर्फ महेंद्र सिंह धोनी द्वारा ही किया गया है।