बिहार में बनेंगे फूड पार्को का बड़ा नेटवर्क, मखाना और लीची के साथ इन उत्पादों पर रहेगा ध्यान-जानिए

न्यूज़ डेस्क: केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय आने वाले दिनों में बिहार में कई मिनी फूड पार्क स्थापित करने जा रहा है। केंद्र सरकार बिहार में फूड पार्कों का एक बड़ा नेटवर्क बनाने की योजना पर कार्य कर रही है। राज्य में मखाना, लीची और केला पर आधारित उत्पादों पर विशेष ध्यान है, परंतु आलू और मक्का जैसे फसलों में भी संभावना खोजी जा रही है। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने इसके लिए सघन सर्वे का आदेश दिया है।

50 करोड़ रुपये तक मिलेगा अनुदान राशी राज्य में इस प्रकार की नेटवर्क को अस्थापित करने हेतु भारत सरकार 10 करोड़ से लेकर 50 करोड़ तक का अनुदान मुहैया करने वाली है। सर्वेक्षण के माध्यम से विशेष क्षेत्रों का चयन किया जाना है। कच्चे माल की उपलब्धता, गुणवत्ता, कोल्ड चेन नेटवर्क जैसी आधारभूत संरचना तैयार करने के लिए अनुदान के रूप में अच्छी राशि का प्रावधान है।

अन्य बुनियादी ढांचे को भी विकसित किया जाएगा बिहार में भी कोल्ड चेन नेटवर्क का अभाव है। इस ओर भी मंत्रालय का ध्यान है। बिहार में कोल्ड स्टोरेज, फ्रोजन सेंटर या फ्रीज वैन का नेटवर्क स्थापित करने की योजना पर केंद्र सरकार पहल करने जा रही है। खाद्य उत्पादों पर आधारित पैकेजिंग या अन्य सहायक उद्योगों की संभावना पर भी विचार किया जा रहा है। इसके लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विशेषज्ञों और अनुसंधान संस्थानों की सेवाएं भी ली जाएंगी।

क्या कहते हैं केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि हमारे मंत्रालय ने बिहार में बड़े पैमाने पर मखाना, लीची, केला, आलू, मक्का पर आधारित खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने की योजना तैयार की है। इसके लिए मिनी फूड पार्क बनाए जाएंगे। सर्वे के आदेश दिए गए हैं। इसके आधार पर अलग-अलग उत्पादों के लिए अलग-अलग इलाकों को चिह्नित किया जाएगा।

कैसे तैयार होगा मिनी फूड पार्क मिनी फूड पार्क खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों का एक परिसर है। एक ही परिसर में कई खाद्य प्रसंस्करण औद्योगिक इकाइयां स्थापित हैं। उनकी सुविधा के लिए, परिसर में पीसने, शोधन और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए एक ठंडा संयंत्र, पैकेजिंग संयंत्र और सहायक इकाई है। कोल्ड वैन जैसी लॉजिस्टिक सपोर्ट भी उपलब्ध है। इस सब पर प्रत्येक उद्यमी का अलग-अलग निवेश न करने से उत्पादन की लागत काफी कम हो जाती है।

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