ये है बिहार का अनोखा Village- जहां हर घर में हैं इंजीनियर, कहते हैं IITian गांव….

हर छात्र का सपना होता है कि यदि वह इंजीनियरिंग कर रहा है तो उसे देश का टॉप आईआईटी (IITians) कॉलेज मिले। हालांकि आईआईटी (IIT) की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है।

इस परीक्षा में सफलता पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर हर घर में एक आईआईटियन (IITian) है। तो चलिए जानते हैं बिहार के इस गांव के बारे में।

हर घर में है एक IITian

बिहार में एक ऐसा गांव है जहां पर हर घर में एक आईआईटियन है। पिछले 25 सालों में यहां से करीब 600 IITian निकले हैं। जी हां, गया जिले में बसा गांव पटवा टोली के हर एक घर में IITian है। इस छोटे से गांव से हर साल दर्जन भर बच्चे IIT की परिक्षा में सफलता पाते हैं।

फाल्गुन नदी के तट पर बसे इस गांव के बच्चों की मदद वह आईआईटीयंस करते हैं जिन्होंने इस परीक्षा में पहले सफलता पाई है। आईआईटियन बन चुके इस गांव के युवक युवती मिलकर “वृक्ष” नाम की एक संस्था चलाते हैं।

इस संस्था का उद्देश्य मुफ्त में बच्चों को जेईई मेंस की तैयारी करवाना है। 2013 में शुरू की गई यह संस्था बच्चों को इंजीनियरिंग की किताबें उपलब्ध कराने के साथ-साथ उन्हें देश के कई नामचीन शिक्षक उपलब्ध कराती है। ये शिक्षक ऑनलाइन (Online) बच्चों को आईआईटी (IIT) की तैयारी करवाते हैं।

कैसे हुई शुरुआत

गांव से IITian निकलने का सिलसिला आज से करीब 31 साल पहले शुरू हुआ था। जब गांव के जितेंद्र पटवा (Jitendra Patwa) का सिलेक्शन आईआईटी में हुआ। साल 1991 में उन्होंने आईआईटी कॉलेज में एडमिशन लिया। इसके बाद कई बच्चों ने आईआईटी में जाने का सपना देखना शुरू किया।

गांव के जितेंद्र पटवा (Jitendra Patwa) ने ही ‘नव स्किल प्रयास’ के एक ग्रुप की स्थापना की जिसमें आईआईटी (IIT) की तैयारी करने वाले छात्रों को इस परीक्षा में सफलता पाने के लिए मदद की जाने लगी। शुरुआत में तीन बच्चे आईआईटी की परीक्षा में सफल हुए। साल 1999 में सात बच्चों ने इस परीक्षा में सफलता पाई। धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ती गई।

बुनकरों का गांव बना आईआईटीयंस का गांव

बता दें कि पटवा गांव (Patwa Village) के लोगों का मुख्य रोजगार बुनाई है। जिस वजह से पटवा गांव को बिहार (Bihar) का मैनचेस्टर भी कहा जाता है। यहां पटवा जाति के लोगों की संख्या अधिक है। जो ज्यादातर बुनाई के रोजगार से जुड़े रहते हैं। मगर आज बुनकरों का यह गांव आईआईटीयंस के गांव के नाम से मशहूर है।