चमोली हादसा : 8 महीने पहले की थी वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी, आज तबाही का मंज़र मिल रहा है देखने को
डेस्क : उत्तराखंड के चमोली जिले में बाढ़ का कहर बीते दिन सुबह 11:00 बजे बरपा, जहां पर सरकार द्वारा ऋषि गंगा प्रोजेक्ट चलाया जा रहा था। जिसके चलते 11 मेगावाट बिजली उत्पाद करने की कोशिश थी। लेकिन ऋषि गंगा नदी में ग्लेशियर टूट के बह जाने की वजह से सारा प्रोजेक्ट चौपट हो गया और सरकार को बड़ा नुकसान हुआ है। ऐसे में 10 लोगों की जान जाने की खबर है और करीब 100-150 लोग लापता हो गए हैं।

ऐसा ही कुछ बर्बरता का मंज़र हमें 2013 की त्रासदी में देखने को मिला था, उस वक्त भी विशेषज्ञों ने यह भविष्यवाणी की थी कि आने वाले सालों में अगर इसी तरह मानव अपनी क्रूरता के साथ प्रकृति के संग पेश आएगा तो उसको इसी तरह का जवाब मिलेगा। सरकार की ओर से एवं उत्तराखंड राज्य सरकार की ओर से एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार लोगों की छानबीन कर रही है। एवं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत चमोली जिले के तपोवन इलाके में पहुंचे जहां तक बाढ़ में अपना कहर बरपाया है और इलाके का जायज़ा लिया। उनका मानना है अगर सही समय पर कार्यवाही हो जाती तो इस घटना से बच सकते।

आपको बता दें कि इन इलाकों में करीब 146 लेक आउटबर्स्ट की घटनाएं पता लगाई गई थी। ऐसे में हिमालय क्षेत्र में बड़े स्तर पर शोध किए गए थे। जिसमें सभी गाड़ियों के ग्लेशियरों का पौधा लगाया और शोध में मालूम चल गया की सभी ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। ऐसे में सर्दियों के वक्त में ग्लेशियर का पिघलना ताज्जुब की बात है। वैज्ञानिकों द्वारा ग्लेशियर की रोकथाम के लिए कई मार्ग नदियों के इर्द-गिर्द खोले गए हैं और अनेकों झील बनाई है विशेषज्ञों का मानना है कि झील को एकाएक फटने से बचाने के लिए और जल्द से जल्द राहत पहुंचाने के लिए यह कार्य बेहद जरूरी है।