क्या आप जानते है 716 साल पुराना है सोनपुर मेले का इतिहास, कभी अफगान से होती थी सामान की बिक्री..

डेस्क : कभी अपनी भव्यता को लेकर प्रसिद्ध बिहार का सोनपुर मेला अब छोटे से दायरे में ही सिमट कर रह गया है. अब ना पशु मेले की पहले जैसी रौनक रह गयी है और ना ही प्रशासन के आला अधिकारियों का जमावड़ा होता है. मगर, मेले का इतिहास भी काफी पुराना है. इसके इतिहास को लेकर कई दावे भी किये जाते रहे हैं. उनमें से एक पुराना दावा और प्रमाणिक दावा हरिहर नाथ मंदिर के चबुतरे पर लगा शिलापट्ट के आधार पर भी है. ये शिलापट्ट 1306 ई0 का है.

इसमें कहा गया है कि हरिहर नाथ मंदिर सनातन से है और यहां पर कार्तिक पूर्णिमा का उत्सव होता है. अब यह मेला 716 वर्ष पुराना हो गया है. इतिहास के जानकार स्थानीय निवासी और बिहार स्टेट एक्स सर्विसेज लिक, सोनपुर चैप्टर के अध्यक्ष 70 वर्षीय एसपी सिंह बताते हैं कि पुराने समय में मेले में सुई से लेकर दैनिक उपयोग में सभी वस्तुएं मिलती रहती थीं. अंग्रेजी काल में इस स्थान को पशु मेला बना दिया गया था.

सन 1871 में लॉर्ड मेयो ने लगाया था सोनपुर दरबार

इस मेले का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम से भी जुड़ा है. सन 1857 की क्रांति दबने के बाद भारत के वायसराय लार्ड मेयो ने साल 1871 में यहां दरबार लगाया था. उसके दरबार में नेपाल के तत्कालीन राजा राणा जंग बहादुर का महिमा मंडन भी किया गया था. क्योंकि उन्होंने सन 1857 की क्रांति को दबाने में अंग्रेजों की मदद की थी. इससे पहले साल 1846 में सोनपुर में ही हरिहर क्षेत्र रिजोल्युशन पास किया गया था. इसमें पीर अली, वीर कुंअर से लेकर ख्वाजा अब्बास आदि लोग भी थे. वहीं लोगों में जनश्रुतियां हैं कि चन्द्रगुप्त मौर्य, अकबर और सन 1857 के गदर के नायक वीर कुंवर सिंह ने भी से यहां हाथियों की खरीद की थी. लाेग वीर शिवाजी द्वारा भी यहां से घोड़ा खरीदने की बात करते रहते हैं. हालांकि इन बातों का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिला है.

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