बिहार का धरोहर : 236 साल का हुआ पटना गोलघर, जानें – इसके निर्माण की दिलचस्प कहानी…

डेस्क : बिहार की राजधानी पटना में स्थित ऐतिहासिक गोलघर 236 साल पुराना है. बता दें कि पटना आने वाले पर्यटकों के लिए अभी भी यह मुख्‍य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. जो भी पटना आता है एक बार गोलघर जरूर देखना चाहता है. गोलघर का निर्माण कार्य वर्ष 1786 में पूरा हुआ था. लेकिन लोगों के मन में अभी यह सवाल उठता है कि आखिर गोलघर का निर्माण किसने कराया था? गोलघर का निर्माण क्‍यों कराया गया था? गोलघर का शिल्‍पकार कौन था? ऐसे न जाने कितने सवाल हैं जो पर्यटकों के साथ ही आमलोगों के जेहन में चलते रहते हैं. तो चलिए आज इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढ़ते हैं.

जानकारी के लिए बता दें कि अंग्रेजों ने गोलघर का निर्माण अनाज के भंडारण के लिए कराया था. समय के साथ गोलघर पटना की पहचान बन गया. पटना आने वाला हर व्यक्ति सबसे पहले गोलघर को देखने की इच्छा रखता है. इतना ही नहीं गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्‍स को 20 जनवरी 1784 को खाद्यान्न के एक कारोबारी जेपी ऑरियल ने एक बड़ा अन्न भंडार बनाने की सलाह दी थी. जिसके बाद हेस्टिंग्‍स ने साल 1770 के अकाल का स्थाई समाधान तलाश रहे थे. उस अकाल में बिहार, बंगाल और ढाका में 10 लाख से अधिक लोग मारे गए थे.

गौरतलब है कि यह भी बताया जाता है कि बनने के बाद ही इसमें खामियां सामने आने लगी थीं. इसके दरवाजे अंदर की ओर खुलते हैं. जिस कारण इसे कभी पूरा भरा नहीं जा सकता. दूसरी खामी यह है कि गर्मी के कारण इसमें अनाज जल्दी सड़ जाता था. कुल मिलाकर कहा जाए तो इसे बनाने का मकसद कभी पूरा नहीं हो सका. कभी अनाज संग्रह नहीं हुआ. जिसके बाद अंग्रेजों ने इसके निर्माण में खामियों को गार्स्टिन की मूर्खता कहा था. हालांकि इन सबके बावजूद भी गोलघर काफी लोकप्रिय है.

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