गया के तिलकुट, भोजपुर के खुरमा और सीतामढ़ी के बालू शाही; बिहार की इन मिठाइयों को मिलेगा GI Tag, नाबार्ड ने शुरू की प्रक्रिया

बिहार के कई सारे उत्पाद ऐसे हैं जिन्हें जी आई टैग मिल चुका है। जिनमें से कुछ प्रमुख है मधुबनी पेंटिंग, कतरनी चावल, मगही पान, सिलाव खाजा, शाही लीची, जर्दालू आम।इसके अलावा भी कुछ उत्पाद बिहार के ऐसे हैं जिन्हें संभवत आने वाले भविष्य में जल्दी जी आई टैग मिलने वाला है। अब राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक जो कि नाबार्ड बैंक के नाम से भी जाना जाता है ,ने बिहार के भोजपुर के उदवंतनगर के खुरमा, गया के तिलकुट और सीतामढ़ी जिले की स्वादिष्ट बालूशाही को देश-दुनिया में पहचान दिलाने के लिए आगे आए हैं। दरअसल नाबार्ड बैंक में इन उतपादो के लिए जीआई टैग की मांग करने वाले उत्पादक संघ या निर्माता कंपनी को सुविधा के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।

What is Gi tag क्या है जी आई टैग

भौगोलिक संकेतक अर्थात जीआई टैग GI Tag एक ऐसी स्थिति है जो किसी विशेष क्षेत्र से संबंधित उत्पाद को दिया जाता है। उस विशेष उत्पाद की गुणवत्ता प्रतिष्ठा और किसी भी अन्य विशेषताओं को आमतौर पर उत्पाद की भौगोलिक उत्पत्ति के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। जी आई टैग किसी व्यक्ति उत्पादकों और संस्थाओं को दिया जा सकता है। एक बार रजिस्टर्ड हो जाने के बाद ये 10 वर्ष तक मान्य होता है। उसके बाद इसे फिर से रिन्यू करवाना पड़ता है। सबसे पहले जीआई टैग वर्ष 2004 में दार्जिलिंग की चाय को मिला था और भारत में अब तक 272 वस्तुओं को जीआई टैग मिल चुका है।

जी आई टैग मिलने से किसी क्षेत्र विशेष को तथा वहाँ के उत्पाद को क्या लाभ मिलता है

जी आई टैग उत्पाद के लिए कानून संरक्षण प्रदान करता है। अन्य लोगों द्वारा किसी पंजीकृत भौगोलिक संकेतक के अनाधिकृत प्रयोग को रोकता है। यह संबंधित भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित वस्तुओं के उत्पाद की आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देता है। केंद्र सरकार भी ऐसे ब्रांड्स को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की कोशिश करती हैं। भारत में वर्ष 1999 दिसंबर महीने में संसद में उत्पाद के रजिस्ट्रेशन और संरक्षण को लेकर अधिनियम पारित किया गया था। जिसे की ज्योग्राफिकल इंडिकेशन गुडस रजिस्ट्रेशन एंड प्रोडक्शन एक्ट,1999 कहा गया। इसे वर्ष 2003 में भारत में लागू किया गया। वर्ष 2004 में दार्जिलिंग टी को पहला जीआई टैग देकर देश मे इस की शुरुआत की गई।

बिहार के तीन प्रोडक्ट्स को जी आई टैग दिए जाने हेतु पहले भी करवाया जा चुका है रेजिस्ट्रेशन

नाबार्ड बैंक बिहार के चीफ जनरल मैनेजर के अनुसार बैंक खुरमा तिलकुट और बालूशाही के लिए जीआई टैग की मांग करने वाले निर्माता संघ को को सहायता प्रदान कर रही है। जल्दी रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के लिए चेन्नई में आवेदन किया जाएगा। इसके पहले भी बिहार से तीन आवेदन जी आई टैग के लिए रजिस्टर्ड करवाए जा चुके हैं। जो कि हाजीपुर का केला, नालंदा का बावन बूटी साड़ी और गया के पत्थर कट्टी स्टोनक्राफ्ट है।

वित्त मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली नाबार्ड बैंक का यह कदम काफी सराहनीय है। इसे ग्रामीण क्षेत्रों में एकीकृत ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिलेगा तथा लघु उद्योग, कुटीर, हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण शिल्प उद्योगों को काफी प्रोत्साहन मिलेगा।

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