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महज 14 साल की नन्हीं आयु में हुई शादी, 18 साल में बनी 2 बच्चों की माँ, नहीं मानी हार और IPS बन रचा इतिहास

डेस्क : पुराने समय की कुरीतियां अभी तक समाज से खत्म नहीं हुई है। हमारे पूर्वजों ने बेतहाशा कोशिश की थी की वह पुरानी कुरीतियों को खत्म किया जाए लेकिन ऐसा करने में वह कुछ हद तक तो कामयाब रहे लेकिन पूरी तरह से इसको नहीं खत्म कर पाए। कुछ ऐसा ही नजारा हमें आज के समाज में देखने को मिला है जहां पर भारत की बेटियों की शादी कम उम्र में कर दी जाती है। लेकिन यह बेटियां अपने दिमाग की परिपक्वता के हिसाब से कामयाबी को हासिल कर लेती हैं और कुछ ऐसा ही कर दिखती हैं जिसकी किसी को उम्मीद नहीं होती।

इस देश की बेटी का नाम एन अंबिका है। बता दें कि अम्बिका की उम्र मात्र 14 वर्ष थी जब उनकी शादी हुई थी। इसके बाद से ही वह शादी के बोझ तले दब गई और रिश्ते नाते निभाने लगी। अंबिका के पति को पुलिस में हवलदार की नौकरी मिली थी जिसके चलते उनको 26 जनवरी पर गणतंत्र दिवस की परेड देखने का मौक़ा मिला था। जब वह परेड देखने गई तो वहां पर उनको उच्च अधिकारी भी देखने को मिले।

उन्होंने जब अपने पति को उच्च अधिकारियों के आगे सलाम ठोकते देखा तो उनके दिमाग में सवाल आया कि उनके पति ने बड़े अधिकारियों के आगे सलाम क्यों किया? तब उनके पति ने जवाब दिया कि वह आईपीएस ऑफिसर हैं। उन्होंने पूछा कि आईपीएस ऑफिसर बनने के लिए क्या करना होता है ? उन्होंने कहा कि इसके लिए बहुत मुश्किल परीक्षा देनी होती है। इसके बाद उन्होंने निश्चय कर लिया कि वह इस एग्जाम को पास करके दिखाएंगे।

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उनके ऊपर घर की जिम्मेदारियां थी और 18 साल की उम्र में 2 बच्चों को जन्म दे चुकी थी लेकिन फिर भी वह अपने फैसले से नहीं डगमगाईं और उन्होंने दसवीं पास की और फिर कॉरेस्पोंडेंस से ग्रेजुएशन किया। उन्होंने फैसला किया कि वह चेन्नई में रहेंगी और वही सिविल सर्विसेज की तैयारी करेंगी। इस तैयारी के दौरान वह तीन बार असफल हो गई जिसके बाद उनके पति ने कहा कि तुम वापस आ जाओ। लेकिन, अंबिका ने हार नहीं मानी और कहा कि मैं एक और प्रयास दूंगी और फिर वह घर नहीं गई। साल 2008 में उनकी सारी मेहनत रंग लाई और वह आईपीएस ऑफिसर बन कर अपने घर वापस आईं।

आपको बता दें कि सिविल सर्विसेज की परीक्षा इतनी आसान नहीं होती है। इसके लिए लोग अपने घर बार छोड़कर सिर्फ तैयारी करते हैं ताकि वह देश की सर्वश्रेष्ठ नौकरी प्राप्त कर सकें ऐसे में सर्वश्रेष्ठ नौकरी प्राप्त करने के पीछे उनकी सिर्फ एक ही मंशा होती है कि वह देश की सेवा कर सके। कुछ इसी मंशा से अंबिका ने भी सच्ची निष्ठा दिखाते हुए मेहनत की और युवा पीढ़ी की उदाहरण बनी हुई है।

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