DSP Santosh Patel : ग्वालियर डीएसपी संतोष पटेल अपने वीडियो को लेकर चर्चा में रहते हैं। सोशल मीडिया पर आप उनके कई वीडियो देख सकते हैं। इन वीडियो में वह कभी लोगों की मदद करते तो कभी अपनी मां से मिलते नजर आते हैं।
इस बार जब डीएसपी संतोष पटेल अपनी बहन के ससुराल जाते हैं तो उनकी बहन खेत में घास काट रही होती है। इस नजारे को संतोष पटेल ने अपने कैमरे में कैद कर लिया, अब यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
ग्वालियर में डीएसपी के पत्थर को संभाल रहे संतोष पटेल (DSP Santosh Patel) अपने काम को सोशल मीडिया पर वीडियो के माध्यम से लोगों तक पहुंचाते हैं। इसी कड़ी में उनका अपनी बहन से मिलना लोगों का पसंद आ रहा है.
हंसिया की जगह कलम उठाई थी..आज भी हँसिया चला लेते हैं लेकिन बहन जी कलम नहीं चला पाती। एक उमर होती है पढ़ाई लिखाई की जो निकल जाये तो दोबारा नहीं आती है। एक उमर होती है संभलने के लिए और शिक्षा पर्याप्त है क़िस्मत बदलने के लिए। बंदूक़ की गोली से ज़्यादा ताक़त कॉपी कलम किताब में है। pic.twitter.com/MLs3Aw5MWQ
— Santosh Patel DSP (@Santoshpateldsp) February 28, 2024
दरअसल डीएसपी संतोष पटेल अपने बहन से मिलने उनके ससुराल पहुंचे जहां उनकी दीदी पशुओं के लिए घास काटते दिखी। अपने भाई को अचानक देखकर वह चौंक गया।
सबसे पहले डीएसपी ने अपनी बहन के पैर छुए और फिर उनका हालचाल पूछा। इसके बाद वे अपने बहन से भांजे भांजियों की पढ़ाई के बारे में भी पूछते हैं। बहन से यह भी पूछा कि तुम कहां तक पढ़ी हो? डीएसपी के सवाल पर उनकी बहन कहती हैं कि मैं स्कूल नहीं जा पाई। हां लेकिन नाम लिखना जरूर आता है।
डीएसपी संतोष पटेल (DSP Santosh Patel) ने खेत में अपनी बहन और भतीजी से बातचीत का यह वीडियो अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया है। लिखा है, ”मैंने हंसिया की जगह कलम उठा ली। मैं आज भी हंसिया का इस्तेमाल करता हूं लेकिन मेरी बहन कलम का इस्तेमाल नहीं कर सकती।
पढ़ने-लिखने की एक ही उम्र होती है। एक बार जो बाहर चला जाता है तो दोबारा वापस नहीं आता। एक उम्र होती है संभलने की और तालीम ही काफी होती है तकदीर बदलने के लिए। कॉपी, कलम और किताब में बंदूक की गोलियों से ज्यादा ताकत होती है।”
वीडियो में कही ये बात
संतोष पटेल (DSP Santosh Patel) कहते हैं कि यह मेरी बड़ी वाली बहन है, जिन्होंने अपना पूरा बचपन जिम्मेदारियां के साथ बिताया और हमारी शिक्षा के लिए अपने आप को खेतों के काम में समर्पित कर दी।
बाल विवाह सहित अनेक कठिनाइयों को सहने के बाद भी उनका दृढ़ साहस आज हमें प्रेरित करता है। वह कभी स्कूल नहीं गईं लेकिन अपने भाइयों को पढ़ाने के लिए रोटी बनाकर देती थीं। आज हमने अपनी भतीजी और भतीजे को शिक्षा के लिए गोद लिया है।’ बहुत खुशी हुई कि भतीजे ने 10वीं में 93% अंक हासिल किए थे।