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पोस्टमास्टर का बेटा बना डिप्टी कलेक्टर, बिना किताब और कोचिंग के ऐसे हासिल की सफलता – जानें यहाँ

डेस्क : इंसान जिंदगी जीने के लिए अनेकों ऐसे कार्य करता है जिससे उसकी जिंदगी आसानी से कट सके। लेकिन, मात्र जिंदगी काटने से ही आसान नहीं हो जाती है बल्कि जिंदगी में इंसान को मिसाल कायम करनी होती है क्योंकि जिस जिंदगी में मिसाल नहीं होती वह जिंदगी किसी काम की नहीं होती। कुछ ऐसी ही मिसाल पेश की है मंगलेश दुबे ने जो उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने अपने दम पर पूरी शिद्दत के साथ मेहनत करके एक ऐसा स्थान प्राप्त किया है जहां पहुंचना बेहद ही मुश्किल होता है, लोग जब काम करते हैं तो उनकी जिंदगी में अनको परेशानियां आ जाती हैं और वह अपनी किस्मत का रोना शुरू कर देते हैं।

वहीं पर दूसरी ओर कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो कितनी भी कठिन परिस्थितियां आएं उनके आगे घुटने नहीं टेकते हैं। मंगलेश दुबे ने 2015 की यूपीपीसीएस परीक्षा में दूसरा रैंक हासिल किया था, लेकिन उनको इतनी आसानी से यह सफलता प्राप्त नहीं हुई बल्कि उनके पास तो किताब और कोचिंग की भी कमी थी। पिताजी एक पोस्ट मास्टर थे और एक पोस्ट मास्टर की तनख्वाह का अंदाजा सबको होता है लेकिन इसके बावजूद मंगलेश ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और जौनपुर के बादशाहपुर से हाई स्कूल पूरा किया फिर प्रतापगढ़ के केपी हिंदू इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट पास किया। जवान की पढ़ाई पूरी हो गई तो उन्होंने सोचा कि अब क्या किया जाए तभी उनको सिविल सर्विसेज की जानकारी मिली और उन्होंने तैयारी करना शुरू कर दी, तब तक उनके पिताजी रिटायर हो चुके थे लेकिन घर में सिर्फ मंगलेश ही नहीं उनके दो बहने और एक भाई भी था जिसके चलते हैं पैसों की कमी होने लगी।

उनका परीक्षा देने का सिलसिला 2011 से शुरू हुआ था ऐसे में उनके पास किताब नहीं होती थी तो वह अपने दोस्तों से किताब मांग कर पढ़ते थे। उनको शुरुआती परीक्षाओं में कामयाबी जरूर मिली लेकिन वे उनके मन मुताबिक नहीं थी जिसके चलते उन्होंने बार-बार प्रयत्न किया और 2015 की परीक्षा में अपने मन के मुताबिक पद हासिल किया। जब उनको यह मालूम हुआ की उनको डिप्टी कलेक्टर बनाया गया है तब वह खुशी से फूले नहीं समाए और उनका अधूरा सपना पूरा हो गया।

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